भ्रामक विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रूख, बाबा रामदेव व आचार्य को पेश होने को कहा
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भ्रामक विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रूख, बाबा रामदेव व आचार्य को पेश होने को कहा

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  • देश को गुमराह कर रही है पतंजलि-कोर्ट
  • भ्रामक विज्ञापनों पर लगाई कोर्ट ने रोक
  • रोक के बावजूद पंतजलि लगातार दिखा रहा विज्ञापन
  • अब कोर्ट ने अगली तारीख पर पेश होने को कहा
  • आईएमए जता चुका है पंतजलि के दावों पर नाराजगी

पंतजलि आयुर्वेद की दवाओं के विज्ञापनों को भ्रामक बताने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने संस्था के को फाउंडर  स्वामी रामदेव और एमडी आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिये हैं। साथ ही यह भी पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू कर दी जाये। दरअसल, कोर्ट ने इन भ्रामक विज्ञापनों पर तुंरत रोक लगाने के आदेश दिये थे लेकिन स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने इस आदेश को हवा में उड़ा दिया। इस पर भी कोर्ट ने अब अवमानना की बात कही है। मंगलवार को सुनवाई के बाद इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने उन्हें अगली तारीख पर पेश होने के आदेश दिये हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया है। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।  जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की।

इससे पूर्व 27 फरवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी। साथ ही अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। दरअसल, कोर्ट ने पिछले साल भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया। गंभीर बात यह भी है कि कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन भले ही रोकने के आदेश दिये हों लेकिन पंतजलि ने इसका पालन नहीं किया और तब से अब तक लगातार मीडिया में धडल्ले से विज्ञापन दिये जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व हुई सुनवाई में आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी विज्ञापनों को कोर्ट के समक्ष पेश किया था। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के CEO बालकृष्ण के साथ योग गुरु रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी बताया। पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था। दिलचस्प व गंभीर बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ताक पर रखते हुए ये प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के ठीक एक दिन बाद की गई थी।

21 नवंबर 2023 को सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था कि पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर एक करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।

बेंच का यह भी कहना था कि पतंजलि भ्रामक दावे कर देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकती।

कोर्ट ने सरकार से भी जानकारी चाही थी कि पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत क्या कार्रवाई की गई है। इस पर केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस बारे में डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया था।

संपूर्ण प्रकरण का एक गंभीर पहलू यह भी है कि जिस वक्त दुनिया कोरोना से जूझ रही थी और दवा इजाद करने में लगी थी तब रामदेव बाबा ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दौरान बाबा रामदेव ने एलोपैथी दवाओं व मेडिकल  पद्धित पर भी तमाम सवाल खड़े किये थे। इस पर चिकित्सकों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने गंभीर नाराजगी जताई थी।

जहां तक बात पंतजलि की है तो 2015 में कंपनी ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस का सामना करना पड़ा था।

2015 में ही कैन्टीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद CSD ने अपने सारे स्टोर्स से आंवला जूस हटा दिया था। 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत की थी। 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने के लिए फटकार लगाई थी। कोरोना के अलावा रामदेव बाबा कई बार योग और पतंजलि के प्रोडक्ट्स से कैंसर, एड्स और होमोसेक्सुअलिटी तक ठीक करने के दावे को लेकर विवादों में रहे हैं।

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