इलेक्टोरल बॅांड पर भाजपा की परेशानी बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट के सभी डिटेल्स 21 तक देने के आदेश
- BJP ने सबसे ज्यादा 6,986 करोड़ के बॉन्ड कैश कराए
- ईडी व सीबीआई के बल पर वसूली का खुलासा
- विपक्ष ने भाजपा को किया कठघरे में खड़ा
- इलेक्टोरल बॅान्ड रिश्वत व वसूली का कानूनी रूप-कांग्रेस
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा छिपाये कुछ नहीं, सब जानकारी चाहिये
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सामने आ रही जानकारियों ने सत्तारूढ़ भाजपा को विपक्ष ने कठघरे में खड़ा कर दिया है। विपक्ष खुल कर आरोप लगा रहा है कि इलेक्टोरल बॅान्ड जबरदस्ती रिश्वत लेने का कानूनी रूप है। पहले ईडी व सीबीआई भेज कर धमकाया जा रहा है और फिर इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर वसूली की जा रही है। इस मामले में पूर्ण जानकारी देने में हीलाहवाली कर रहे भारतीय स्टेट बैंक को आज सुप्रीम कोर्ट ने आड़े हाथ लेते हुए स्पष्ट कहा कि उनके पास जो भी जानकारी है, वह हमें चाहिये। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी 21 मार्च तक देने के आदेश दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन यूनीक बॉन्ड नंबर्स के खुलासे का भी आदेश दिया, जिनके जरिए बॉन्ड खरीदने वाले और फंड पाने वाली राजनीतिक पार्टी का लिंक पता चलता है।
इस मामले को लेकर सुनवाई कर CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई। CJI ने SBI के वकील हरीश साल्वे से कहा कि कोर्ट ने सारी डिटेल्स सामने लाने के आदेश दिये थे। इस डिटेल्स में बॉन्ड नंबर्स की भी बात थी। इन जानकारियों का खुलासा करने में SBI सिलेक्टिव न रहे। हमारे आदेशों का इंतजार न करें।
बेंच ने कहा कि एसबीआई का रवैया बता रहा है कि वह यह चाहता है कि हम उसे बतायें कि किन जानकारियों का खुलासा करना है, वह उसका ही खुलासा करेगा। बेंच ने कहा कि अब आप इस आशय का शपथ पत्र दाखिल करें कि उसने (एसबीआई) ने कोई जानकारी छिपाई नहीं है।
#WATCH | Delhi: Advocate Prashant Bhushan says, "Today, the Supreme Court heard its notice to SBI, asking them why they had not disclosed the alphanumeric number on each bond of the purchaser, as well as of the party which redeemed those bonds…The Court passed an order saying… pic.twitter.com/xRLJzwVF3G
— ANI (@ANI) March 18, 2024
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 11 मार्च के फैसले में भारतीय स्टेट बैंक को बॉन्ड की पूरी डिटेल, खरीदी की तारीख, खरीदार का नाम, कैटेगरी की जानकारी देने का निर्देश दिया था। जबकि स्टेट बैंक ने सिर्फ बॉन्ड खरीदने वालों और कैश कराने वालों की जानकारी दी थी। डेटा में इस बात का खुलासा नहीं किया गया था कि किस डोनर ने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया। यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स से इसका पता चलेगा।
बता दें कि लेक्टोरल बॉन्ड के साथ यूनीक अल्फान्यूमेरिक नंबर की जानकारी न देने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने 16 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने बैंक से 18 मार्च तक बॉन्ड नंबर की जानकारी न देने पर भी जवाब मांगा था।
स्टेट बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी को चुनाव आयोग ने 17 मार्च को अपने वेबसाइट पर डालते हुए इसे सार्वजनिक कर दिया है। नए डेटा में फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के बॉन्ड्स की जानकारी शामिल है।
इस जानकारी के मुताबिक भाजपा ने कुल 6,986 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड कैश कराए हैं। पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, DMK को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपए मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ रुपए भी शामिल हैं।
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