जनवरी में थोक महंगाई घटकर 0.27% पर आई, दिसंबर में ये 0.73% पर थी
भारत की थोक महंगाई जनवरी में घटकर 0.27% पर आ गई है। दिसंबर में ये 0.73% पर थी। वहीं नवंबर में यह 0.26% और अक्टूबर में -0.52% रही थी। खाने-पीने के सामान की कीमतें घटने से महंगाई कम हुई है । खाद्य महंगाई दर दिसंबर के मुकाबले 5.39% से घटकर 3.79% रही है । रोजाना जरूरत के सामानों की महंगाई दर 5.78% से घटकर 3.84% रही है । ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर -2.41 से बढ़कर -0.51% रही है । मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर -0.71% से घटकर -1.13% रही है ।इससे पहले 12 फरवरी को सरकार ने रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए थे। भारत की रिटेल महंगाई जनवरी 2024 में घटकर 5.1% पर आ गई है। यह महंगाई का तीन महीने का निचला स्तर है। इससे पहले दिसंबर 2023 में महंगाई 5.69% रही थी। वहीं नवंबर में यह 5.55%, अक्टूबर में 4.87% और सिंतबर में 5.02% रही थी । थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है । जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है ।
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है । महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है ।।