हाथरस भगदड़ हादसा- एसआईटी की जांच रिपोर्ट में भोले बाबा का नाम तक नहीं
- हाथरस भगदड़ कांड में 121 लोगों की गई जान
- मुख्यमंत्री ने जांच के लिये गठित की है एसआईटी
- एसआईटी की रिपोर्ट के बाद एसडीएम समेत छह निलंबित
- रिपोर्ट में भोले बाबा के नाम का उल्लेख तक नहीं
- पक्ष विपक्ष सभी बच रहे हैं भोले बाबा का नाम लेने से
- राजनीतिक अहित न हो जाये, यह आशंका ज्यादा प्रबल
हाथरस भगदड़ में मारे गये 121 लोगों की मौत के लिये इससे जुड़े सभी लोग जिम्मेदार हैं लेकिन सूरजपाल यानी भोले बाबा यानी नारायण साकार हरि नहीं। यह निष्कर्ष एसआईटी की उस जांच रिपोर्ट के बाद निकाला गया है जिसमें इस हादसे के लिये आयोजकों व अफसरों को जिम्मेदार माना गया है। 300 पृष्ठ की यह जांच रिपोर्ट मंगलवार को प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सामने प्रस्तुत की गई है जिसके बाद सिकंदरामऊ के एसडीएम, सीओ और तहसीलदार समेत छह लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है। इनमें चौकी इंचार्ज कचौरा और चौकी इंचार्ज पोरा भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 2 जुलाई को बड़े पैमाने पर सत्संग आयोजित किया गया था। इसमें उम्मीद से कहीं अधिक या यह कहा जाये कि जो परमिशन जिला प्रशासन से ली गई थी उससे अधिक भीड़ जुटी थी। भोले बाबा यानी नारायण साकार हरि ने यहां श्रद्धालुओं को प्रवचन दिये थे। माइक से एनाउंस के बाद भीड़ बोले बाबा की रज ( पैरों की धूल) लेने के आगे बढ़े और वहां भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 121 लोगों के मारे जाने की जिला प्रशासन द्वारा पुष्टि की गई है, हालांकि मरने वाले इससे कहीं अधिक थे, ऐसे हालात को देखते हुए चर्चा है।
सत्सगं के बाद मची भगदड़ में अपनों को खोने का गम,यह तस्वीर बयां करने के लिये काफी है
इस हादसे के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पुलिस की नींद टूटती इससे पहले ही हाथरस में पीड़ितों के घर पहुंच गये थे। राहुल गांधी ने सरकार द्वारा दी गई मुआवजा राशि को अपर्याप्त बताते हुए हादसे की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष ने इतना सब कुछ कहा लेकिन एक भी शब्द भोले बाबा के बारे में नहीं कहा।
हाथरस में भगदड़ हादसे से प्रभावित पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर, उनका दुख महसूस कर और समस्याएं जान कर उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को पत्र के माध्यम से उनसे अवगत कराया।
मुख्यमंत्री जी से मुआवजे की राशि को बढ़ाकर शोकाकुल परिवारों को जल्द से जल्द प्रदान… pic.twitter.com/omrwp3QGNP
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 7, 2024
ऐसा ही कुछ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा। क्या बाबा के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये इस सवाल को टालते हुए अखिलेश यादव ने पूछा कौन बाबा,यूपी में दो बाबा हैं। यानी भोले बाबा के खिलाफ कार्रवाई की मांग से उन्होंने भी एक सिरे से किनारा कर लिया।
विस्तार से देखिये 👇
भगदड़ में मारे जाने वालों में अधिकांश महिलाएं थी वह भी ओबीसी वर्ग से। इस जाति की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो ने सब कुछ कहा लेकिन बाबा भोले के बारे में बोलने से उन्होंने भी गुरेज किया। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी से जुड़े नेता चाहे वह योगी आदित्यनाथ हों, डिप्टी चीफ ब्रजेश पाठक अथवा केशव प्रसाद मौर्य, किसी ने भी बाबा के बारे में एक शब्द नहीं बोला। मामला राजनीतिक फायदे से जो जुड़ा है। बाबा भोले यानी नारायण साकार हरि के फोलोवर्स बहुत हैं और यह फैक्टर चुनाव को प्रभावित कर सकता है, इस बात का अंदाजा सभी राजनीतिक दलों को है।
कुछ इस तरह जैसे हरियाणा में गुरमीत राम रहीम। विपक्ष यह आरोप बराबर लगाता आ रहा है कि संगीन आरोपों के बावजूद गुरमीत को चुनावी लाभ लेने के लिये हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा समय समय पर पैरोल पर रिहाई दे दी जाती है।
यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया है। मंगलवार को एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ के सामने पेश कर दी। रिपोर्ट में भोले बाबा के नाम का जिक्र तक नहीं है। भगदड़ के लिये आयोजकों और अफसरों को जिम्मेदार माना गया है। इस पर सिकंदरामऊ के एसडीएम, सीओ और तहसीलदार समेत छह लोगों को सस्पेंड कर दिया है। एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में चश्मदीद गवाहों व अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुर्घटना के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है।
जनपद हाथरस में पत्रकार बंधुओं से वार्ता… https://t.co/aegJal8lyf
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 3, 2024
एसआईटी ने कहा है कि घटना में साजिश से इन्कार नहीं किया जा सकता है। मामले में गहन जांच की जरूरत है। हाथरस दुर्घटना आयोजकों की लापरवाही से हुई। भीड़ को आमंत्रण देकर पर्याप्त इंतज़ाम नहीं किया गया था। स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया और वरिष्ठ अफसरों को समुचित जानकारी नहीं दी।
इस संपूर्ण मामले का एक गंभीर पहलू यह भी है कि भगदड़ के बाद जहां एक तरफ 121 लोगों मौत के मुंह में समा गये वहीं आयोजन से जुड़े सभी लोग वहां से भाग खड़े हुए इनमें भोले बाबा भी शामिल हैं। बाद में मुख्य आयोजनकर्ता समेत कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन बात चाहे एफआईआर की हो या फिर एसआईटी जांच रिपोर्ट की, किसी में भी भोले बाबा के नाम का उल्लेख इस तरह से गायब किया गया है जैसे वह वहां आये ही नहीं थे। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का साफ कहना है कि माइन से एनाउंस के बाद ही भोले बाबा की रज लेने के लिये भीड़ उनकी गाड़ी के पीछे दौड़ी थी, और तभी यह भगदड़ मच गयी। इंतजाम नाकाफी थे लिहाजा 121 लोग भगदड़ में मारे गये।
उधर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भोले बाबा को फर्जी संत घोषित करने की बात कही है। परिषद का कहना है इन दिनों एकाएक ही कथावाचकों की संख्या में इजाफा हो गया है। ये कथावाचक अब खुद को चमत्कारी दर्शाने के काम में लगे हैं। इनके बारे में प्रयागराज में होने वाले सम्मेलन में फैसला लिया जायेगा।
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