बाल आयोग सदस्य व भाजपा नेता पर एक लाख का इनाम घोषित
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बाल आयोग सदस्य व भाजपा नेता पर एक लाख का इनाम घोषित

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  • कानपुर में छह बीघा जमीन हड़पने का आरोप
  • त्रस्त किसान ने परेशान होकर दी जान
  • एक बाद भी भाजपा नेता की गिरफ्तारी नहीं
  • अब पुलिस ने इनाम की राशि पचास हजार से बढ़ाई

फरार भाजपा नेता व बाल आयोग के सदस्य आशु दिवाकर पर कानपुर पुलिस ने ईनाम की राशि बढ़ाते हुए इसे एक लाख रुपये कर दिया है। अभी तक फरार भाजपा नेता की गिरफ्तारी पर पचास हजार रुपये का इनाम घोषित था। आशु दिवाकर पर आरोप है कि उसने किसान बाबू राम यादव की छह बीघा जमीन हड़प ली, जिसके चलते बाबू राम यादव ने आत्महत्या कर ली। आशु के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस उसकी तलाश कर रही है, लेकिन वह हाथ नहीं लग रहा है।

दरअसल, यह सारा मामला कानपुर के चकेरी गांव से जुड़ा हुआ है। यहां रहने वाले किसान बाबू राम यादव ने 9 सितम्बर को आत्महत्या कर ली थी। आरोप है कि बाबू राम की छह बीघा जमीन भाजपा नेता आशु दिवाकर ने हड़प ली है। बाबू राम यादव ने इसकी तमाम जगह शिकायत की लेकिन मामला सत्ताधारी पार्टी से जुड़ा होने के कारण आशु के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। हालात यह है कि आत्महत्या व रिपोर्ट दर्ज हुए एक माह हो चुका है, लेकिन आशु पकड़ से बाहर है।

मृतक बाबू राम यादव की पत्नी व दोनों बेटियों को लेकर सपा नेता अभिमन्यु गुप्ता ने सोमवार को पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की थी। इसके बाद पुलिस कमिश्नर डॉ. आरके स्वर्णकार ने फरार भाजपा नेता आशु दिवाकर, उसके साथी मैनपुरी के भाजपा नेता शिवम सिंह चौहान और इनके गुर्गे जितेंद्र और बबलू पर एक लाख का इनाम घोषित कर दिया। बता दें कि इस प्रकरण के दो आरोपी राहुल जैन और मधु पांडेय जेल जा चुके हैं। दरअसल, पुलिस ने भाजपा नेता आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन, आशु के गुर्गे व मैनपुर के भाजपा नेता शिवम चौहान, नोएडा निवासी आशु के पार्टनर राहुल जैन, जितेंद्र, बबलू, मधुर पांडेय के खिलाफ धोखाधड़ी, आत्महत्या के लिए उकसाने, साजिश रचने और जान से मारने की धमकी देने समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश राज्य बाल आयोग की वेबसाइट पर अभी भी आशु दिवाकर का नाम बतौर सदस्य दर्ज है। इतना ही नहीं, इस प्रकरण पर भाजपा के सभी नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। अभी तक भाजपा नेता की गिरफ्तारी न होने पर पीड़ित परिवार लगातार पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है। यहां तक कहा जा रहा है कि मामला चूंकि सत्ताधारी पार्टी से जुड़ा हुआ है लिहाजा पुलिस ने आरोपी के आगे सरेंडर कर दिया है।

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