भाजपा ने मेरठ से अरूण गोविल को उतारा चुनाव मैदान में
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भाजपा ने मेरठ से अरूण गोविल को उतारा चुनाव मैदान में

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  • तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट कटा
  • टिकट कटने की स्थिति में वीआईपी को मिलने की थी चर्चा
  • कैंट विधायक अमित अग्रवाल व मुकेश सिंघल भी रहे दौड़ में
  • स्थानीय सक्रिय नेताओं को पार्टी नेतृत्व ने दरकिनार किया
  • मेरठ से बाहर सक्रिय अरुण गोविल पर लगाया दांव
  • गाजियाबाद व मेरठ को लेकर बना मिथक भी टूटा
  • पं. सुनील भराला और राजेश दीवान रहे दौड़ में शामिल
अरुण गोविल का नाम यूं तो काफी समय से चर्चा में था लेकिन जैसे ही भाजपा की पांचवी सूची जारी हुई मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट के  भाजपाई अवाक रह गये। पार्टी नेतृत्व ने वैश्य बिरादरी समेत तमाम स्थानीय दिग्गजों को नकारते हुए अरुण गोविल को इस सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया। लंबे समय से बाहर रह रहे प्रत्याशी को मेरठ के मतदाता और पार्टी के दिग्गज कितना गले लगा पायेंगे..यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। अभी तक बाहरी प्रत्याशी घोषित करने के बाद समाजवादी पार्टी स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना कर रही है अब भाजपा के सामने भी वही हालात पैदा हो सकते हैं।  सोशल मीडिया पर भले ही अरुण गोविल को राम आये हैं जैसे वाक्यों से नवाजा जा रहा हो लेकिन यह भी धारणा बन रही है कि वैश्य बिरादरी बाहुल्य इस सीट पर पार्टी नेतृत्व ने स्थानीय वैश्य नेताओं को ढेंगा दिखा दिया। यह भी चर्चा होने लगी है कि जीत की स्थिति में अरूण गोविल को इस क्षेत्र के नुमाइंदे कहां ढूंढेंगे। अरुण गोविल के प्रत्याशी घोषित होते ही मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर चुनावी समीकरण भी बदल गये हैं। समाजवादी पार्टी के एक बड़े धड़े को अभी यह उम्मीद है कि टिकट बदलेगा और यहां योगेश वर्मा को टिकट दिया जा सकता है।
इस टिकट के घोषित होते ही यह मिथक भी टूट गया है कि गाजियाबाद से यदि किसी वैश्य का टिकट होता है तो मेरठ से ब्राह्मण को चुनाव लड़ाया जाता है। और यदि वहां से ब्रा्हमण चुनाव लड़ता है तो मेरठ से वैश्य को टिकट दिया जायेगा। गाजियाबाद से पार्टी ने विधायक अतुल गर्ग को चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में मेरठ से भी वैश्य बिरादरी के अरुण गोविल को टिकट दिये जाने से यह धारणा अब टूट गई। जहां तक मेरठ के वैश्य बिरादरी समेत अन्य बिरादरियों का प्रतिनिधित्व करने की बात है तो इसकी लंबी फेहरिस्त है। इनमें राजेंद्र अग्रवाल के अलावा कैंट विधायक अमित अग्रवाल, पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल, डा. विकास अग्रवाल, सरोजनी अग्रवाल , ब्राह्मणों में डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पं.सुनील भराला, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज आदि शामिल हैं। शहर के प्रमुख उद्यमी व शिक्षाविद राजेश दीवान भी टिकट चाहने वालों की इस दौड शामिल रहे। पंजाबी समुदाय का नेतृत्व कर रहे राजेश दीवान की पत्नी नीरू दीवान भी वैश्य बिरादरी से तालुक रखती हैं। इस नाते भी वैश्य को टिकट मिलने की स्थिति में उनकी दावेदारी प्रमुख मानी जा रही थी।
उधर, अरुण गोविल को स्थानीय पदाधिकारी बाहरी जरूर बता रहे हैं लेकिन यह जानकार आश्चर्य होगा कि उनका जन्म 12 जनवरी 1952 को यूपी के मेरठ जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा मेरठ विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। यह बात और है कि वह लंबे अर्से से मेरठ से बाहर रह रहे हैं। टीवी धारावाहिक रामायण में राम की भूमिका निभाकर प्रसिद्ध हुए अरुण गोविल ने 18 मार्च, 2021 को भाजपा का दामन थामा था।

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