आपसी खींचतान के चलते अखिलेश की सभा में नहीं जुटी अपेक्षित भीड़
- पांच विधानसभा होने के बावजूद अपेक्षित भीड़ नहीं जुटी
- भीड़ न जुटना पार्टी के लिये शुभ संकेत नहीं माने जा रहे
- अतुल प्रधान को फिर नीचा दिखाने की हुई कोशिश
- विधायकों की फोटो की श्रृंखला में नहीं मिला को स्थान
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आज मेरठ में हुई चुनाव सभा में अपेक्षित भीड़ न जुटना कही न कहीं बहुत कुछ संकेत देने के लिये काफी है। इस जनसभा में यूं तो मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली पांचों विधानसभा क्षेत्रों से कार्यकर्ताों को आमंत्रित किया गया था लेकिन पार्टी व इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल सभा में अपेक्षित भीड़ नहीं जुटा पाये। एक बड़ा कारण आपसी खींचतान भी मानी जा रही है। सरधना विधायक अतुल प्रधान पार्टी नेतृत्व के आदेश पर भले ही थोड़ा झुके नजर आ रहे हैं लेकिन योगेश समर्थक उन्हें अभी भी वह स्थान नहीं दे रहे हैं जो अपेक्षित है।
समाजवादी पार्टी की लोकसभा सीट प्रत्याशी सुनीता वर्मा के पक्ष में आज लोहियानगर थाना क्षेत्र में अखिलेश यादव की सभा आहूत की गई थी। सभा को सफल बनाने के लिये पांचों विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बसें लगायी गई थी। इन बसों से सभा में भीड़ जुटानी थी। लंबा चौड़ा क्षेत्रफल व मतदाताओं की संख्या अधिक होने के बावजूद योगेश वर्मा अपेक्षित भीड़ नहीं जुटा पाये। वह भी तब जबकि उनके साथ इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी भी लगे हुए हैं।
मंच पर जिस वक्त अखिलेश यादव आये कांंग्रेस व आम आदमी पार्टी के नेताओं में उनके साथ फोटो खींचने की ललक जरूर रही। इसके लिये खींचतान भी होती नजर आई। वहीं योगेश वर्मा ने मंच पर मुख्य बैनर पर एक तरफ अखिलेश यादव, दूसरी तरफ सुनीता वर्मा और बीच में अपने साथ शहर विधायक रफीक अंसारी व विधायक शाहिद मंजूर के ही बड़े फोटो लगाये थे। अतुल प्रधान भी सरधना से विधायक हैं लेकिन उन्हें ऊपर लगे छोटे फोटों की श्रृंखला में स्थान देकर औपचारिकता निभा दी गई।
अखिलेश के मंच पर आने के बाद एकाएक उनके साथ बैठने को लेकर भी नेताओं में आपसी खींचतान देखी गई। यहां अतुल प्रधान को जगह न मिलने पर नाराज होते हुए भी देखा गया। बाद में उन्हें कई नेताओं के बाद अखिलेश यादव से दूरी पर जगह दी गई। सभा को संबोधित करते हुए अतुल प्रधान ने जरूर सुनीता वर्मा को जिताने की अपील की लेकिन इसका कितना असर गुर्जर मतदाताओं पर होगा, अभी कहना बहुत जल्दबाजी रहेगा।
सभा को संबोधित करते हुए शहर विधायक रफीक अंसारी ने जरूर भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही वहीं शाहिद मंजूर ने सिर्फ संबोधन की औपचारिकता पूर्ण कर किनारा पकड़ लिया।
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