मेरठ और मुरादाबाद सीट को लेकर सपा में असमंजस कायम
- मुरादाबाद में रूचि वीरा को नामांकन करने से रोका
- रूचि वीरा को लेकर हो रहा है विरोध
- मेरठ से भानु प्रताप सिंह को भी पचा नहीं पा रहे स्थानीय नेता
- भीतरघात व खींचतान के चलते भानु ने टिकट पाया
- सभी प्रमुख नेता डेरा डाले हुए हैं लखनऊ में
- आज बदल सकता है मेरठ का भी टिकट-सूत्र
मेरठ हापुड़ व मुरादाबाद सीट पर प्रत्याशी के नाम को लेकर समाजवादी पार्टी में घमासान के हालात हैं। बीते दिवस मुरादाबाद सीट से रूचि वीरा को टिकट देकर आज नामांकन के लिये कहा गया था लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें रूकने के निर्देश दे दिये गये हैं। वहीं मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर घोषित भानु प्रताप सिंह को स्थानीय सपाई गले से नीचे नहीं उतार पा रहे हैं। विरोध के बीच समाजवादी पार्टी मुखिया ने लखनऊ में सभी विधायकों,जिला व महानगर पदाधिकारियों को बुलाया है। माना जा रहा है कि इस बैठक में प्रत्याशियों के फेरबदल को लेकर कोई महत्वपूर्ण निर्णय लिया जायेगा।
मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी में दावेदारों की खासी फेहरिस्त है और आपसी खींचतान भी। इस खींचतान का खामियाजा महापौर चुनाव में पार्टी उठा चुकी है। टिकट चाहने वालों में शाहिद मंजूर, रफीक अंसारी, अतुल प्रधान, योगेश वर्मा, जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी, महानगर अध्यक्ष आदिल चौधरी प्रमुख रूप से शामिल हैं। पार्टी के लिये गंभीर बात यह भी है कि शुरू के चारों नामों में आपसी खींचतान जबरदस्त है। महापौर चुनाव में अतुल प्रधान अपनी पत्नी सीमा प्रधान के लिये टिकट पा गये थे लेकिन उन्हें अपनों ने ही संकट में डाले रखा।
रोड शो के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव शहर विधायक रफीक अंसारी के घर भी उन्हें मनाने गये थे लेकिन इस बात को भी रफीक अंसारी ने कोई तवज्जो नहीं दी। नतीजा सामने रहा कि सीमा प्रधान को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी हरिकांत आहलुवालिया महापौर बन गये जबकि एआईएमआईएम प्रत्याशी सीमा प्रधान से भी ज्यादा वोट पाने में सफल रहे।
अब जबकि पार्टी ने इस खींचतान से सबक लेते हुए स्थानीय लोगों को दरकिनार कर अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह को मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इसके बाद ही से इस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में बागवत के हालात हैं। टिकट घोषित हुए कई दिन हो गये हैं लेकिन सभी प्रमुख पदाधिकारी लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। कहीं न कहीं उन्हें भी भानु प्रताप सिंह का टिकट कटने व उनकी लॅाटरी खुलने की आस है।
टिकट घोषित होने के बाद हालांकि टिकट चाहने वाले थोड़ा बहुत विरोध करते ही हैं लेकिन समाजवादी पार्टी में यह विरोध काफी हद पार कर चुका है। सपा की ही प्रमुख प्रतिस्पद्धी पार्टी भाजपा ने भी इस सीट से फिल्मी कलाकार अरुण गोविल को टिकट देकर सक्रिय राजनीति में भाग ले रहे स्थानीय नेताओं को महत्व नहीं दिया। यहां भी विरोध के हालात हैं लेकिन भीतरखाने। अरुण गोविल चूंकि मेरठ के होते हुए भी पार्टी नेतृत्व का पैराशूट लेकर इस सीट पर उतरे हैं लिहाजा माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व व आरएसएस सभी पदाधिकारियों को अपने सर्विलांस पर रखे हुए है। यही कारण है कि अरुण गोविल के सभी गले मिल रहे हैं लेकिन अनबुझे मन से।
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