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न्यूज क्लिक के फाउंडर की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध माना
न्यूज क्लिक के फाउंडर की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध माना,बड़ा झटका
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न्यूज क्लिक के फाउंडर की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध माना,बड़ा झटका

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एंटी टेरर लॉ केस में जेल में बंद न्यूज क्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने के आदेश  दिये हैं। कोर्ट ने इस गिरफ्तारी को पूर्णत अवैध करार देते हुए कहा है कि पुलिस गिरफ्तारी का आधार नहीं बता पाई है। इस आदेश के बाद अब प्रबीर को रिहा किया जायेगा। चीन से फंडिंग का आरोप लगाते हुए पिछले साल तीन अक्टूबर को दिल्ली से प्रबीर को गिरफ्तार किया गया था और वह तभी से जेल में बंद थे।

 सुप्रीम कोर्ट बैंच ने पंकज बंसल केस का हवाला देते हुए कहा है कि  प्रबीर को गिरफ्तारी का आधार बताना चाहिए था। उन्हें कस्टडी से रिहा होने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में पंकज बंसल केस में आदेश दिया था कि आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित में बताना जरूरी है।

दरअसल, दिल्ली पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में न्यूज क्लिक पर चीनी प्रोपगैंडा फैलाने और देश की संप्रभुता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा पुरकायस्थ पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म के साथ साजिश रचने का भी आरोप लगा था। पांच अगस्त 2023 को न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी। इसमें बताया गया कि ब्रिटेन और अमेरिका में कुछ ग्रुप चीन के प्रोपेगैंडा को प्रमोट करने में जुटे हैं। इनकी जांच में आया कि अमेरिकन मिलियनेयर नेविल रॉय सिंघम इसकी फंडिंग कर रहे हैं। टाइम्स के मुताबिक नेविल रॉय उन संस्थाओं के साथ जुड़े हैं, जो दुनिया में चीन की उपलब्धियों का बखान करती हैं।

 सिंघम के साथ मैसाचुसेट्स में एक थिंक टैंक, मैनहटन की संस्था, दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल, भारत और ब्राजील में न्यूज ऑर्गेनाइजेशन सहित कई ग्रुप जुड़े हैं। इनके पास अरबों डॉलर के साधन हैं। सिंघम शिकागो में सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी कंपनी थॉटवर्क्स चलाते हैं। इससे एक भारतीय न्यूज वेबसाइट भी जुड़ी है। 69 साल के सिंघम शंघाई में बैठते हैं। वहां उनका नेटवर्क यूट्यब पर एक शो चलाता है। इसके लिए शंघाई का प्रोपेगैंडा विभाग भी कुछ पैसा देता है।

सात अगस्त 2023 को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए लोकसभा में न्यूज क्लिक को मिलने वाली चीनी फंडिंग का मुद्दा उठाया था। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि कांग्रेस, चीन और विवादित न्यूज वेबसाइट न्यूज क्लिक एक ही गर्भनाल से जुड़े हैं। राहुल गांधी की ‘नकली मोहब्बत की दुकान’ में पड़ोसी सामान साफ देखा जा सकता है। चीन के प्रति उनका प्रेम नजर आ रहा है। वे भारत विरोधी अभियान चला रहे हैं।

17 अगस्त को इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए दिल्ली पुलिस ने न्यूज क्लिक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली। इसमें  IPC की धारा 153 (ए) (धर्म, जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के साथ-साथ UAPA की कई धाराएं (13, 16, 17, 18 और 22) भी लगाई गई थी। धारा 16- आतंकी मामलों से जुड़ी, धारा 17- आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग जुटाना, धारा 18- षड्यंत्र की सजा, धारा 22 सी- कंपनियों द्वारा किए गए अपराध की सजा है।

इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूज क्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ को नोटिस दिया था। यह नोटिस दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग (EOW) की याचिका पर दिया गया था। पुलिस ने याचिका में कोर्ट के अंतरिम आदेश को वापस लेने की अपील की थी, जिसमें न्यूज साइट के खिलाफ सख्त एक्शन लेने पर रोक लगाई गई थी।

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जुलाई 2021 को प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार न करने का आदेश दिया था। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि पुरकायस्थ को अधिकारियों के निर्देशों के मुताबिक जांच में सहयोग करना होगा। दिल्ली पुलिस की याचिका के बाद कोर्ट ने पुरकायस्थ से इस मामले में जवाब तलब किया था।

तीन अक्टूबर दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक से जुड़ी 30 से ज्यादा लोकेशंस पर छापेमारी की थी। पुलिस ने बताया कि 9 महिलाओं समेत 46 लोगों से पूछताछ की गई। इनमें पत्रकार उर्मिलेश, औनिंद्यो चक्रवर्ती, अभिसार शर्मा, प्रांजय गुहा के अलावा इतिहासकार सोहेल हाशमी भी शामिल हैं। करीब 6 घंटे की पूछताछ के बाद इन्हें छोड़ दिया गया। प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रबीर को रिहा किया जायेगा। इस छापेमारी व गिरफ्तारी के पीछे मोदी सरकार की खुलकर खिलाफत भी मानी गई है।

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