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दो और कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद नजर आया गृहकर का भ्रष्टाचार
नगर आयुक्त जागे, गृहकर भ्रष्टाचार रोकने को उठाये कदम
उत्तर प्रदेश मेरठ

नगर आयुक्त जागे, गृहकर भ्रष्टाचार रोकने को उठाये कदम

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– नगर निगम मेरठ के भ्रष्ट सिस्टम का एक और भंडाफोड़ 
– डेढ़ लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दो कर्मचारी गिरफ्तार
 -गृहकर व संपत्ति विभाग बना जेब भरने की मशीन
– आईएएस अफसर तैनात होने के बावजूद भ्रष्टाचार का बोलबाला
– कोरे डिमांड नोटिस पर अधिकारी कर रहे हैं हस्ताक्षर
– स्टाफ मनमानी रकम भर कर रहे जनता आर्थिक उत्पीड़न 

नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है। वह भी तब जबकि यहां आईएएस नगर आयुक्त तैनात हैं और भाजपा के महापौर। चाल चरित्र और चेहरा की राजनीति करने वाली भाजपा का यहां वर्चस्व है। हालात यह है कि अफसरों व जनप्रतिनिधियों की लंबी चौड़ी फौज होने के बावजूद गृहकर व संपत्ति विभाग अफसरों व कर्मचारियों के जेब भरने की मशीन बन गई है। एक के  बाद एक भ्रष्टाचार के मामले सामने आने की कड़ी में व्यापारी नेता सुधांशु महाराज से डेढ लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गृह कर विभाग के दो कर्मचारियों को एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार कर लिया।

 -गृहकर व संपत्ति विभाग बना जेब भरने की मशीन

मजेदार बात यह है कि इस गिरफ्तारी के बाद स्टाफ को बचाने के इरादे से एक लाख चालीस हजार रुपये सुधांशु महाराज का गृह कर का जमा करते हुए रसीद व्हाट्स एप से व्यापारी नेता को भेज दी गई। जबकि एंटी करप्शन टीम ने डेढ़ लाख रुपये समेत लिपिक दीपक कुमार व अनुचर राहुल कुमार को गिरफ्तार किया है। सवाल उठता है कि व्यापारी नेता ने जो रकम दी थी वह एंटी करप्शन टीम ने बरामद कर ली, फिर गृहकर कैसे जमा हो गया।

– कोरे डिमांड नोटिस पर अधिकारी कर रहे हैं हस्ताक्षर

इसकी जब फर्स्ट बाइट.टीवी द्वारा जांच पड़ताल की गई तो कई और घोटाले व अफसरों व कर्मचारियों की जनता को लूटने की मिलीभगत सामने आई है। ऐसी ही एक  कोरी रसीद बुक भी सामने आई है जिसमें सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर हैं। यानी अधिकारी ने अपने साइन कर के स्टाफ को डिमांड नोटिस की बुक थमा दी है। इसमें स्टाफ मनचाही रकम भरकर भेज देता है और फिर इसके बाद शुरू होता है मनमाफिक वसूली का खेल। इससे यह भी साबित हो रहा है कि भ्रष्टाचार के इस खेल में ऊपर से नीचे तक सभी शामिल हैं। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब इस रिश्वतखोरी का खुलासा हुआ है।

विस्तार से देखिये 👇

– आईएएस अफसर तैनात होने के बावजूद भ्रष्टाचार का बोलबाला

भ्रष्टाचार की लगातार सामने आ रही शिकायतों को देखते हुए मंगलवार को नगर आयुक्त टीएस व कर निर्धारण अधिकारी पर मनमाने आदेश करने पर रोक लगाते हुए आवश्यक कदम उठाया है। नगर आयुक्त ने तीन जोन पर अपर नगर आयुक्त को प्रभारी बना दिया है। अब पांच लाख से अधिक की वार्षिक मूल्यांकन की पत्रावलियों का निस्तारण मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, मुख्य नगर लेखा परीक्षक व अपर नगर आयुक्त की संयुक्त संस्तुति के आधार पर स्वयं नगर आयुक्त द्वारा किया जायेगा। दरअसल, सोमवार को एंटी करप्शन टीम ने डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत के साथ रंगे हाथ नगर निगम के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।

नगर आयुक्त ने उठाये ये कदम

मंगलवार को नगर आयुक्त द्वारा इसे लेकर आदेश जारी कर दिये। इस आदेश के मुताबिक समस्त जोनल प्रभारी अपने जोन के अन्तर्गत पचास हजार तक, पचास से डेढ़ लाख तक मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, डेढ़ लाख से पांच लाख रुपये तक के कंकरखेड़ा जोन हेतु अपर नगर आयुक्त प्रथम, शास्त्रीनगर जोन हेतु अपर नगर आयुक्त तृतीय व मुख्यालय जोन हेतु अपर नगर आयुक्त द्वितीय के माध्यम से गृहकर के वार्षिक मूल्याकन का अधिकार होगा।

इसके अलावा पांच लाख रुपये से अधिक की वार्षिक मूल्यांकन की पत्रावलियों का अवलोकन/अनुमोदान एवं निस्तारण मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, मुख्य नगर लेखा परीक्षक एवं संबंधित अपर नगर आयुक्त/सहायक नगर आयुक्त की संयुक्त समिति की संस्तुति के आधार पर नगर आयुक्त द्वारा किया जायेगा।

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