पकड़ कर छोड़ने के धंधे में लिप्त सदर थाना इंस्पेक्टर आये लपेटे में, हैड कांस्टेबिल गिरफ्तार
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पकड़ कर छोड़ने के धंधे में लिप्त सदर थाना इंस्पेक्टर आये लपेटे में, हैड कांस्टेबिल गिरफ्तार

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मौजूदा पुलिस कप्तान की कठोर कार्यवाही
पुलिस विभाग के भ्रष्ट कर्मी आशंकित
विभाग के तीन लोगों के खिलाफ अब तक रिपोर्ट दर्ज
इंस्पेक्टर ने चार्ज सौंप भूमिगत होने में समझी भलाई
जिले में हाफ चिकन, फुल चिकन प्लेट का प्रचलन बंद
पिछले छह दिन में हुई छह लोगों की हत्या
पुलिस जानकारी में होने वाले अपराधों पर अंकुश 
सड़क पर नजर आने लगी है पुलिस 
बाहरी वाहनों पर झपटने वाली पुलिस ने संभाली ट्रैफिक की कमान 
गंगानगर के दरोगा दिनेश पर भी लगे पकड़ने व छोड़ने के आरोप
तबादला लाबी भी लगे अपने काम पर 
मेरठ। गंगानगर थाने के दरोगा दिनेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार मुकदमा दर्ज होने के बाद मलाईदार समझे जाने वाले मेरठ के सदर थाने के इंस्पेक्टर बिजेंद्र पाल राणा के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हो गया। इंस्पेक्टर के खिलाफ मुकदमा उस हेड कास्टेबिल मनमोहन की गिरफ्तारी के बाद दर्ज हुआ जिसे तीस हजार रुपये की रिश्वत समेत पकड़ा गया था। नये पुलिस कप्तान प्रभाकर चौधरी के अभी बेहद अल्प कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर यह दूसरा मुकदमा है। गिरफ्तारी व विधिक कार्यवाही से बचने के लिये इंस्पेक्टर बिजेंद्र पाल राणा आफिशियल प्रयागराज जाने की बात कह कर भूमिगत हो गये हैं। किसी मामले में पहले पकड़ना और छोड़ने की एवज में लाखों में वसूली करना पुलिस की कार्यप्रणाली में शुमार हो चुका है। उदाहरण के रूप में सामने आये इन दोनों ही मामलों में लाखों रुपये वसूले गये। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस नीति का शतप्रतिशत पालन करने की कोशिश में भले ही नये पुलिस कप्तान प्रभाकर चौधरी लगे हुए हैं लेकिन निश्चित रूप से भ्रष्ट सिस्टम के लिये भी वह बड़ी चुनौती बन गये हैं। मेरठ जिले में हाफ चिकन प्लेट….फुल चिकन प्लेट कोड वर्ड गुजरे जमाने की बात हो गये हैं। हाफ चिकन यानी पैर में गोली और फुल चिकन प्लेट…….। पुलिस कप्तान के साफ निर्देश हैं कि जो बदमाश जैसा पकड़ा जाये… वैसा ही और उसी आरोप में जेल भेजा जाये..मनमाफिक धाराएं न लगाई जायें। वाहनों के अवैध कटान के स्लास्टर हाउस पर कसा गया शिकंजा उन लोगों को रास नहीं आ रहा है जिनकी जेब हर माह या हर वाहन पर चुपचाप भर जाती रही हैं। धार्मिक मौकों पर सदर थाना पुलिस द्वारा लंबे समय तक चलने वाले विशाल भंडारे भी बंद हो गये हैं। कहा जा सकता है कि पुलिस संरक्षण में  चलने वाले सट्टे पर भी काफी अंकुश लगा है। भ्रष्ट पुलिस थानेदारों की काली कमाई पर लगे इस अंकुश व हाफ चिकन प्लेट ..फुल चिकन प्लेट जैसे सख्त कदम बंद होने का ही असर है कि मेरठ जिले में क्राइम रेट एकाएक ही बढ़ गया है। छह दिन में छह लोगों की हत्या इसकी बानगी भर है। सिस्टम एक भ्रष्ट हिस्सा एक तरफ है .नये पुलिस कप्तान प्रभाकर चौधरी एक तरफ। तबादला लाबी भी अपने काम पर लग चुकी है।
(विस्तार से यह भी देखिये https://www.youtube.com/watch?v=yPYwobtwDq4   )
मेरठ जिले के नये पुलिस कप्तान प्रभाकर चौधरी ने आते ही एक व्हाट्स नंबर जारी किया…..यह नंबर ही तमाम पुलिस कर्मचारियों की परेशानी का कारण बन गया। इस  पर की गई शिकायत की गोपनीय जांच होती है और फिर कार्यवाही। गंगानगर थाने के दरोगा दिनेश कुमार भी इसी पर की गई शिकायत का शिकार बने। एक युवती से जुड़े मामले में पकड़े गये आरिफ को छोड़ने की एवज में एक लाख 20 हजार रूपये लिये गये। पुष्टि होने पर पुलिस कप्तान ने दिनेश के खिलाफ वसूली व भ्रष्टाचार की धारा में मुकदमा दर्ज करा दिया। अब ताजा मामला सदर थाने का है। गिरफ्तार हेड कांस्टेबिल मनमोहन ने पुलिस अफसरों को  बताया कि ट्रक से जुड़े एक मामले में उठा कर लाये गये खतौली के वकार को छोड़ने की एवज में एक लाख मांगे गये थे। पचास हजार वह दे चुका था। बाकी रकम मंगलवार को दी जानी थी। वकार ने शाम चार बजे थाने के बाहर हेड कांस्टेबिल मनमोहन को जैसे ही तीस हजार रुपये दिये पहले से वहां तैनात एसपी सिटी की टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। उसने रिकार्ड बयान में बताया कि यह रकम वह इंस्पेक्टर बिजेंद्र पाल राणा के कहने पर लेने आया था। इंस्पेक्टर इससे पहले भी ट्रक स्वामी और चालक को छोड़ने की एवज में तीन लाख की रकम वसूल चुका है। इंस्पेक्टर को जैसे ही इसकी भनक लगी वह थाने का चार्ज एक एसएसआई को दे यह कहते हुए भूमिगत हो गये कि वह हाईकोर्ट में सीए दाखिल करने जा रहे हैं। हेड कांस्टेबिल को हवालात में डालने के साथ ही दोनों के खिलाफ उस सदर थाने में ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया जिसके बाहर मोटे मोटे अक्षरों में इंस्पेक्टर राणा ने लिखवा रखा है कि यह थाना भ्रष्टाचार से मुक्त हो चुका है, कोई शिकायत है तो उनसे आकर मिला जाये। ये इंस्पेक्टर राणा वही हैं जिन्होंने दो लाख के ईनामी शिव शक्ति नायडू को मुठभेड़ में मार गिराया था। राणा को पुलिस पदक देने की घोषणा की गई थी। अब यह वीरता पदक भी वापस हो सकता है।
आज दिन भर इस मामले को लेकर पुलिस विभाग में गहमागहमी बनी रही। भ्रष्ट हिस्से का हिस्सा बन चुके अधीनस्थ आशंकित हो इधर उधर ताक रहे हैं। प्रभाकर चौधरी की कार्यप्रणाली ऐसी है कि जो थानेदार लंबे अर्से से मेरठ के मलाईदार समझे जाने वाले थानों से अपनी सलतनत चला रहे थे, तुरंत ही गैर जिलों के लिये रीलिव हो गये। वे यहां तबादले के बाद भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की इनायत के चलते अपनी जड़े जमाये थे। विभाग के कई पुलिस क्षेत्राधिकारी भी अकूत संपत्ति कमाने के कारण बदनामी की जांच दायरे में आ चुके हैं। आज इस ताजे मामले के बाद विभाग सहमा हुआ है।
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