BREAKING दिल्ली-एनसीआर राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एनडीए परीक्षा में हिस्सा ले सकती हैं लड़कियां, दाखिले पर फैसला बाद में

Spread the love
108 Views

 

‘लगातार हो रहे लैंगिक भेदभाव’ पर सेना को फटकार

पांच सितम्बर को होगी एनडीए की प्रवेश परीक्षा

एनडीए में दाखिले का फैसला बाद में होगा

लड़कियों को एनडीए परीक्षा में शामिल होने की नहीं थी इजाजत

 

नई दिल्ली। जस्टिस एस के कौल, हृषिकेश रॉय की बेंच ने ‘लगातार हो रहे लैंगिक भेदभाव’ पर सेना को फटकार लगाते हुए  नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में लड़कियों की पढ़ाई को मंजूरी दे दी है। पांच सितंबर को एनडीए की प्रवेश परीक्षा होनी थी लेकिन अब यह 14 नवम्बर को संपन्न होनी है। एनडीए में दाखिले पर फैसला बाद में होगा, लेकिन कोर्ट ने आज परीक्षा में शामिल होने पर सहमति जता दी है। लड़कियों को अब तक अनुमति नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में शामिल होने की नहीं थी।

 सुप्रीम कोर्ट में वकील कुश कालरा याचिकाकर्ता ने बताया था कि महिलाओं को ग्रेजुएशन के बाद ही सेना में आने की अनुमति है। उनके लिए न्यूनतम आयु भी 21 साल रखी गई है, जबकि लड़कों को 12वीं के बाद ही एनडीए में शामिल होने दिया जाता है। इससे शुरुआत में ही महिलाओं के बेहतर पद पर पहुंचने की संभावना पुरूशों की तुलना में कम हो जाती है। यह समानता के अधिकार का हनन है। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा था। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने की।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल आए उस फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए कहा गया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि जिस तरह कोर्ट ने सेवारत महिला सैन्य अधिकारियों को पुरुषों से बराबरी का अधिकार दिया, वैसा ही उन लड़कियों को भी दिया जाए जो सेना में शामिल होने की इच्छा रखती हैं। याचिका में बताया गया था कि लड़कों को नेशनल डिफेंस एकेडमी और नेवल एकेडमी में 12वीं कक्षा के बाद शामिल होने दिया जाता है. लेकिन लड़कियों के लिए सेना में शामिल होने के जो अलग-अलग विकल्प हैं, उनकी शुरुआत ही 19 साल से लेकर 21 साल तक से होती है. उनके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी ग्रेजुएशन रखी गई है। ऐसे में जब तक लड़कियां सेना की सेवा में जाती हैं, तब तक 17-18 साल की उम्र में सेना में शामिल हो चुके लड़के स्थायी कमीशन पाए अधिकारी बन चुके होते हैं. इस भेदभाव को दूर किया जाना चाहिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *