नगर निगम पहुंचे वाजपेयी तो मेयर को याद आयी जनसमस्याएं !
उत्तर प्रदेश मेरठ

नगर निगम पहुंचे वाजपेयी तो मेयर को याद आयी जनसमस्याएं !

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  • जब महापौर को आया याद,जनसमस्याएं भी उन्हें देखनी है
  • डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी के तुरंत बाद पहुंचे महापौर
  • कावंड़ में व्यस्त थे,इसलिये फौजी पिटाई प्रकरण नहीं देखा
  • जन्ममृत्यु प्रमाण पत्र विभाग बना भ्रष्टाचार का अड्डा
  • एसडीएम व सीएमओ आफिस में महीनों लंबित हैं आवेदन-महापौर
  • एसडीएम व सीएमओ की खामी भुगतनी पड़ती है निगम को-अहलुवालिया

राज्य सभा सदस्य डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी द्वारा नगर निगम में व्यापत भ्रष्टाचार के खिलाफ आज मोर्चा खोलने के बाद तुरंत बाद ही महापौर हरिकांत आहलुवालिया को याद आया कि बतौर जनप्रतिनिधि लोगों की नगर निगम से संबंधित समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी उनकी है। डा. वाजपेयी के निगम से निकलने के तुरंत बाद ही महापौर हरिकांत नगर निगम पहुंच गये। कर्मचारियों से मिले और कहा कि आप लोग क्यों नहीं समझते कि काम शांति से चलता रहे, काम शांति से हो जाये,यदि इसमें कोई समस्या है तो उन्हें बताया जाये।

भ्रष्टाचार में अकंठ तक डूबे होने के आरोपों से जूझ रहे नगर निगम में महापौर किस काम के शांति से होते रहने की बात स्टाफ को समझा रहे थे, इसे लेकर सवाल खड़े हो गये हैं। इस दौरान यह भी महापौर को बताया गया कि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र में समय लगने का मुख्य कारण एसडीएम व सीओओ आफिस में आवेदन का महीनों पड़े रहना है और बदनामी का ठिकरा नगर निगम के सिर फोड़ दिया जाता है। फौजी से मारपीट करने वाले स्टाफ के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।

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बता दें कि मेरठ नगर निगम में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है। अफसर भी हैं और भाजपा के महापौर हरिकांत आहलुवालिया और पार्षदों की लंबी चौड़ी फौज भी..लेकिन भ्रष्टाचार खूब फल फूल रहा है। जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र लेने पहुंचे एक फौजी को पीट दिया जाता है। आरोपी कर्मचारियों की शिनाख्त फौजी द्वारा की जाती है लेकिन मामला चूंकि भ्रष्टाचार में अकंठ तक डूबे सिस्टम का है लिहाजा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे आहत राज्य सभा सदस्य डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने नगर निगम पहुंचकर न सिर्फ सिस्टम की काली कारतूतों पर गुस्सा जताया बल्कि यहां तक कह दिया कि सीमा पर देश की रक्षा करने वाले को नगर निगम में पीटा जायेगा, यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। नगर स्वास्थ्य अधिकारी गजेंद्र सिंह कहते हैं कि उन पर सामर्थ्य से ज्यादा दायित्व है तो वह वापस सीएमओ आफिस क्यों नहीं चले जाते।

डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि नगर निगम के भ्रष्ट स्टाफ के कुत्ते एसी में सो रहे हैं और बच्चे दून स्कूल में पड़ रहे हैं जबकि आम नागरिकों का रिश्वत के लिये बराबर उत्पीड़न किया जा रहा है। हरामखाऊ स्टाफ दाल में नमक बराबर भी खांये तो चलता है लेकिन इन लोगों ने तो हद कर दी है। यदि तीन दिन में फौजी को पीटने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ ही कार्रवाई हो जायेगी।

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