पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर लगाम लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं।
कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल और डीजल पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतों में लगातार 118 दिन से कोई बदलाव नहीं किया गया है।
वहीं देश में विमान ईंधन की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। मंगलवार को विमान ईंधन की कीमतों में 3.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के चलते इस साल विमान ईंधन या एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमतों में यह 5वीं बढ़ोतरी है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों की मूल्य अधिसूचना के अनुसार दिल्ली में एटीएफ की कीमत 3,010.87 रुपये प्रति किलोलीटर या 3.22 फीसदी बढ़कर 93,530.66 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यूपी व पंजाब समेत पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के बाद पेट्रोल व डीजल के दामों में इजाफा तय है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में सातवें व अंतिम चरण का मतदान सात मार्च को होगा जबकि मतगणना एक साथ 10 मार्च को होगी।