एमपीजीएस ने मानसिक प्रताड़ना दे 70 छात्राओं को बाहर निकाला, हंगामा
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एमपीजीएस ने मानसिक प्रताड़ना दे 70 छात्राओं को बाहर निकाला, हंगामा

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  • फीस की बात कहते हुए होम एग्जाम में बैठने से रोक दिया गया
  • छात्राओं ने राहगीरों से फोन ले पेरेंट्स को दी जानकारी
  • हड़बड़ाते हुए पेरेंट्स एमपीजीएस पहुंचे, नारागजी जताई
  • कई अभिभावक ऐसे भी आये जो फीस जमा कर चुके थे
  • एमपीएस में हो चुका है गबन, रिपोर्ट दर्ज करा की औपचारिकता पूर्ण
  • अभिभावकों ने लगाया लिपिक से मिलीभगत कर फीस हड़पने का आरोप

होम एग्जाम देने पहुंची मेरठ पब्लिक स्कूल गर्ल्स बिंग की करीब 70 छात्राओं को आज अपमानित कर बाहर निकल दिया गया। कई छात्राओं राहगीरों से फोन मांग कर रोते हुए रोते हुए अभिभावकों को इसकी जानकारी दी तो सभी के पांव तले जमीन निकल गयी। बताया गया कि इन छात्राओं ने फीस जमा नहीं की है। खबर पाकर बड़बड़ाते हुए अभिभावक एमपीजीएस पहुंचे। इन अभिभावकों में ऐसे भी लोग थे जिन्होंने फीस जमा होने के सबूत साथ लाये थे। इसे लेकर स्कूल परिसर में काफी देर तक हंगामा होता रहा। अभिभावकों के एकजुट होने के बाद सभी छात्राओं को एग्जाम में बैठा तो दिया गया लेकिन उनका करीब एक घंटा बर्बाद हो चुका था। उन्हें एक्स्ट्रा समय भी नहीं दिया गया। आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष जूही त्यागी ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को संयुक्त शिक्षा निदेशक से मुलाकात कर एमपीजीएस की शिकायत करने की बात कही है।

वेस्ट एंड रोड स्थित एमपीजीएस में इन दिनों होम एग्जाम चल रहे हैं। बच्चों की शिकायत पर पहुंचे अभिभावकों को प्रधानाचार्य ने गार्ड के जरिये बाहर निकलवाने की भी कोशिश की। बावजूद इसके संख्या बल अधिक होने के कारण पेरेंट्स भीतर चले गये। यहां अभिभावकों ने मैनेजमेंट के व्यवहार के प्रति खासी नाराजगी जताई। अभिभावकों ने बताया कि स्कूल प्रबंधक की मिलीभगत से कैशियर ने मोटा गबन किया है। स्कूल ने कोरोना काल में भी जबरन फीस वसूली। कैशियर ने सारा रिकार्ड अपने पास रखा, स्कूल के कंप्यूटर में इसकी एंट्री नहीं की। अब पेरेंट्स से फीस जमा करने का सबूत मांगा जा रहा है। पेरेंट्स ने यह आरोप भी लगाया कि कैशियर ने यह गबन प्रबंधन से मिलकर किया है। अब जब बात खुलकर सामने आयी तो प्रबंध संचालक विक्रमजीत ने लिपिक श्रुतिधऱ त्रिपाठी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा औपचारिकता पूर्ण कर ली जबकि त्रिपाठी बीस साल से एमपीजीएस में कार्यरत था। उसकी गिरफ्तारी अथवा पैसे रिकवरी करने की भी प्रबंध समिति ने कोई ज्यादा कोशिश नहीं की। यह जानकारी अधिवक्ता संजय कटारिया ने दी। वहीं इस बारे में  प्रबंध संचालक विक्रमजीत से संपर्क नहीं हो पाया। 

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