अजीबोगरीब सिस्टम- आगरा में 22 अप्रैल को निधन हुआ, 9 मई को टेस्ट, 19 को आई रिपोर्ट
-महिला की 22 अप्रैल को हो गयी थी मौत
-9 मई को दिखाया उनका कोरोना टेस्ट
-19 मई को रिपोर्ट आई पाजिटिव
-मौत से दो दिन पहले एंटीजन थी नेगेटिव
-विभाग ने टाइपिंग मिस्टेक बोल झाड़ा पल्ला
आगरा। कोरोना के मामले में स्वास्थ्य विभाग आंकड़ेबाजी कर रहा है ये आरोप हमेशा लगते रहे हैं। ताजा मामला यूपी के आगरा जिले का है। यहां मौत व अंतिम संस्कार के कई दिन बाद कोरोना टेस्ट कराने व उसकी रिपोर्ट भी आ जाने जैसा गंभीर मामला प्रकाश में आया है। यह कैसे हुआ अब इसकी जांच में जिला प्रशासन जुटा है।मामला आगरा के गढ़ी भदोरिया स्थित शकुंतला नगर का है।
52 वर्षीय मीरा देवी की हालत 20 अप्रैल खराब हुई थी। उनके बेटे महेंद्र पाल सिंह को नजदीकी डाक्टर ने कोरोना जांच के लिये कहा। आईएसबीटी में चल रहे अस्थायी कोरोना जांच केंद्र पर कराई गई एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आई। जिस पर महेंद्र अपनी मां को लेकर घर चले गए। दो दिन बाद मीरा देवी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। शहर के नामी प्राइवेट अस्पताल ने उनकी रिपोर्ट को पाजिटिव बताते हुए उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। दूसरे दिन यानी 22 अप्रैल को उनकी मौत हो गयी।
महेंद्र सिंह का कहना है कि मां की मौत के बाद वह रोजाना अपनी और अपने माता-पिता की आरटीपीसीआर रिपोर्ट ऑनलाइन सरकारी पोर्टल पर देखते रहे। चार दिन के बाद ही उनकी और पिता की रिपोर्ट ऑनलाइन आ गई, मगर मां मीरा देवी की रिपोर्ट सामने नहीं आई। करीब 19 दिन बाद 9 मई को मां की ऑनलाइन रिपोर्ट सामने आई। इसमें हैरान करने वाली बात ये थी कि सैंपल कलेक्शन की डेट 9 मई 2021 दी गई थी। जबकि उनका निधन 22 अप्रैल को हो चुका था। अब सवाल ये उठता है कि मृत महिला ने जो एंटीजन सैंपल 20 अप्रैल दिया था उसकी जांच रिपोर्ट 19 दिन बाद 9 मई को कैसे आई ? इतने दिन सैंपल कंहा था? दूसरी बड़ी लापरवाही ये थी कि 9 मई को कलेक्शन डेट क्यों दिखाई दी, जबकि महिला की मौत 22 अप्रैल को हो चुकी थी? एब ऐसे में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं जिनका जवाब प्रशासन के पास नहीं है. मामले को लेकर सीएमओ आगरा इसे टाइपिंग मिस्टेक बता रहे हैं।