18 वरिष्ठ आईपीएस को पछाड़ कर प्रशांत कुमार बने यूपी पुलिस के कार्यवाहक मुखिया
- दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स को फिर मिला कार्यवाहक मुखिया
- मुकुल गोयल बीस माह पूर्व बने थे स्थायी डीजीपी
- बेहद अल्प समय ही रह पाये मुकुल डीजीपी
- योगी के भरोसेमंद अफसरों में शुमार हैं प्रशांत कुमार
- तीन सौ से ज्यादा एनकाउंटर का श्रेय जाता है प्रशांत को
सीएम योगी आदित्यनाथ के खास आईपीएस प्रशांत कुमार ने बुधवार को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है। 1990 बैच के आईपीएस प्रशांत को विजय कुमार की जगह यह कार्यभार दिया गया है। विजय कुमार का कार्यभार आज यानी 31 जनवरी को खत्म हो रहा है। इससे पूर्व प्रशांत को यह जिम्मेदारी दे दी गई है। अभी तक प्रशांत कुमार डीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर थे। वह मेरठ के एडीजी भी रह चुके हैं।
योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद प्रशांत कुमार का कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यकाल 16 माह यानी मई 2025 तक है। वह यूपी पुलिस के चौथे कार्यवाहक डीजीपी हैं। कुल मिलाकर यह भी कहा जा सकता है कि इस बार भी उत्तर प्रदेश को स्थायी डीजीपी नहीं मिल पाया है। इस पर समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने भी चुटकी ली है।
लगता है एक बार फिर उप्र को कार्यवाहक डीजीपी मिलनेवाला है। जनता पूछ रही है कि हर बार कार्यवाहक डीजीपी बनाने का खेल दिल्ली-लखनऊ के झगड़े की वजह से हो रहा है या फिर अपराधियों के संग सत्ता की साँठगाँठ के कारण।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 31, 2024
जहा्ं तक बात प्रशांत कुमार की है तो वह आईपीसी की वरिष्ठता सूची में 19वें नंबर पर हैं। प्रदेश में 18 आईपीएस उनसे सीनियर बैच के हैं। कार्यवाहक DGP की रेस में आंनद कुमार, पीवी रामा शास्त्री का भी नाम था। मगर, प्रशांत कुमार ने 19वें स्थान पर होते हुए भी बाजी मार ली। इसके पीछे उनका योगी आदित्यनाथ का भरोसेमंद होना माना जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स होने के बावजूद बीते बीस माह से स्थायी डीजीपी नहीं है। यूपी पुलिस में तीन लाख लोग हैं।
बीस माह से पूर्व यूपी के आखिरी स्थायी डीजीपी मुकुल गोयल थे। मुकुल को बेहद ही अल्प कार्याकाल में ही 11 मई 2022 को पद से हटा दिया गया था। इसके बाद, 12 मई 2022 को देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी का जिम्मा सौंपा। वह ग्यारह माह इस पद पर रहे। इसके बाद डॉ. आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक DGP बनाया गया था। वह दो माह ही डीजीपी पद संभाल पाये। आठ माह पूर्व विजय कुमार को कार्यवाहक DGP बनाया गया था।
जहां तक प्रशांत कुमार की उपलब्धियों का सवाल है तो अब तक तीन सौ से ज्यादा एनकाउंटर करने अथवा कराने का श्रेय उनको जाता है। लखीमपुर हिंसा, कानपुर दंगा हो या फिर अयोध्या में राम मंदिर में उमड़ी भीड़, सभी मोर्चों पर प्रशांत कुमार को भेजा गया। यही नहीं, उन्होंने यूपी में संजीव जीवा, कग्गा, मुकीम काला, सुशील मूंछ, अनिल दुजाना, सुंदर भाटी, विक्की त्यागी, साबिर गैंग के आतंक का भी खात्मा किया है।
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