निवेशकों को नुकसान हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार ? पीएम मोदी,सेबी या अडाणी-राहुल गांधी
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निवेशकों को नुकसान हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार ? पीएम मोदी,सेबी या अडाणी-राहुल गांधी

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हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजातरीन रिपोर्ट के बाद देश की राजनीति में भूचाल आ गया है। रिपोर्ट में अड़ाणी ग्रुप की कंपनी में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी के खुलासे और दावे के बाद यह तो तय है कि आने वाले कुछ दिन राजनीतिक रूप से खासे गरम होने वाले हैं। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सरकार से तीन सवाल पूछते हुए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी ने कहा है कि “छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सेबी ने चीफ के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों से समझौता किया है. देशभर के ईमानदार निवेशकों के पास सरकार से महत्वपूर्ण प्रश्न हैं.”। इसके अलावा निवेशकों को यदि नुकसान होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, पीएम मोदी, सेबी या फिर गौतम अडाणी। राहुल ने यह सवाल भी किया है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्वत:संज्ञान लेगा। बता दें कि विपक्ष इस मुद्दे पर जेपीसी बनाने की मांग पर अड़ा हुआ है,जिसके लिये मोदी सरकार फिलहाल तैयार नहीं है।

इससे पहले, कांग्रेस ने X पर लिखा, “अडाणी महाघोटाले की जांच SEBI को दी गई। अब खबर है कि SEBI की चीफ माधवी बुच भी अडानी महाघोटाले में शामिल हैं। मतलब घोटाले की जांच करने वाला ही घोटाले में शामिल है। है ना कमाल की बात! इस महाघोटाले की सही जांच सिर्फ जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) से हो सकती है। हालांकि, मोदी सरकार JPC बनाने को तैयार नहीं है। पीएम मोदी कब तक अडाणी को बचा पाएंगे, एक न एक दिन तो पकड़े जाएंगे।”

राहुल ने कहा- X पर पोस्ट वीडियो में कहा कि कल्पना कीजिए, आप भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंटरनेशनल क्रिकेट मैच देख रहे हैं। एक आदमी जो मैच देख रहा है और जो खिलाड़ी मैच खेल रहे हैं। अगर अंपायर ने कॉन्प्रोमाइज किया तो मैच में क्या होगा। जो मैच खेल रहे हैं, उन्हें कैसा महसूस होगा? ऐसा ही कुछ भारत के स्टॉक मार्केट में हो रहा है। बीते कुछ सालों में स्टॉक मार्केट में बड़ी संख्या में लोगों ने निवेश किया है। स्टॉक मार्केट में लोगों ने मेहनत से कमाई पूंजी इन्वेस्ट की। विपक्ष का नेता होने के नाते ये आपको बताना मेरी जिम्मेदारी बनती है कि भारतीय स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने में रिस्क है।

छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सिक्योरिटी रेगुलेटर SEBI की चेयरपर्सन माधबी बुच पर गंभीर आरोप लगे हैं। देशभर के ईमानदार निवेशक सवाल पूछ रहे हैं। अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी JPC जांच से इतने डरे हुए क्यों हैं और इससे क्या खुलासा हो सकता है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर SEBI चीफ माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने X पर लिखा- 2022 में SEBI चीफ बनने के तुरंत बाद माधबी पुरी बुच ने गौतम अडाणी के साथ दो मीटिंग्स की। जबकि, उस समय SEBI कथित तौर पर अडाणी के लेन-देन की जांच कर रहा था।

जयराम ने कहा कि संसद का मानसून सत्र 12 अगस्त तक चलने वाला था। हालांकि, इसे 9 अगस्त को अचानक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। अब हमें इसका कारण पता चला।

कांग्रेस महासचिव ने बयान में लिखा- हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पता चलता है कि माधबी और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंड में निवेश किया था। इसी फंड में अडाणी के भाई विनोद अडाणी और उनके करीबी सहयोगियों चांग चुंग-लिंग और नासिर अली शाहबान अहली ने बिजली उपकरणों के ओवर-इनवॉइसिंग से कमाए रुपए इन्वेस्ट किए थे।

जयराम ने लिखा- SEBI के नियमों का उल्लंघन करके इन फंड्स का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप की कंपनियों में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किया गया। यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि बुच की इन्हीं फंड्स में वित्तीय हिस्सेदारी थी।

कांग्रेस महासचिव ने आगे बताया कि अडाणी से जुड़े घोटाले की जांच करने में SEBI की अनिच्छा लंबे समय से सबके सामने है। सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी ने इसका संज्ञान भी लिया था।

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