सुप्रीम कोर्ट ने कहा-भ्रामक दावे कर पंतजलि देश को धोखा दे रही,लगाई विज्ञापनों पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने आज बाबा रामदेव की कंपनी पंतजलि आयुर्वेद पर बेहद गंभीर टिप्पणी करते हुए भ्रामक दावा करने वाले प्रोडक्ट के विज्ञापनों पर रोक लगाने के आदेश जारी किये हैँ। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि पंतजलि भ्रामक दावे कर देश को धोखा दे रही है कि उनकी कुछ दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देगी जबकि उसका कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। लिहाजा ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से भी पूछा है कि इस तरह के भ्रामक प्रचार पर उसने पंतजलि के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। केंद्र सरकार आंख मूंदे बैठी हुई है। कोर्ट ने कंपनी और कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बाल कृष्ण को भी अवमानना का नोटिस जारी किया है।
दरअसल, बात उस वक्त की है जब कोरोना अपने चरम पर था। विश्व की तमाम दवा कंपनियां कोरोना के इलाज के लिये वैक्सीन की तलाश कर रही थी जबकि इस बीच, बाबा रामदेव ने प्रेम कांफ्रेंस कर कोरोना का दवा इजाद करने का दावा ठोक डाला। इसके अलावा बाबा रामदेव ने ऐलोपैथी पर भी तमाम गंभीर सवाल खड़ा करते हुए संपूर्ण चिकित्सा पद्धति को भी कटघरे में खड़ा कर दिया था। रामदेव बाबा ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 2022 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस केस की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी। जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने स्पष्ट कहा कि पतंजलि भ्रामक दावे पेश कर देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट बैंच ने आयुष मंत्रालय से यह भी पूछा कि विज्ञापनों को लेकर पतंजलि पर उसके द्वारा क्या कार्रवाई की गई है। केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसका डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों नजर रखने का निर्देश दिया।
बता दें कि आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को कोर्ट के सामने पेश किया था। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के CEO बालकृष्ण के साथ योग गुरु रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी बताया। ये प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के ठीक एक दिन बाद की गई थी। 21 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था कि पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।
तब कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।
इससे पहले हुई सुनवाई में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था, ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए। हम सभी उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।
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