सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इलेक्टोरल बांड की जानकारी कल तक न दें, वरना अवमानना के लिये तैयार रहें
इलेक्टोरल बांड की जानकारी देने से हिला हवाली कर रहे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा। कोर्ट ने सभा कहा कि पिछले सुनवाई से अब तक 26 दिनों में एसबीआई ने इस दिशा में क्या किया है। तमाम दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिये हैं कि एसबीआई अब 12 मार्च यानी कल तक सारी जानकारी का खुलासा करें। चुनाव आयोग सभी जानकारी लेकर 15 मार्च शाम पांच बजे तक इसे वेबसाइट पर सार्वजनिक करें। इस आदेश को एसबीआई के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा के लिये भी परेशानी का सबब बताया जा रहा है।
आइये पहले बात करते हैं इलेक्टोरल बांड के बारे में । दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश की थी। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है। तब अरुण जेटली ने दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। जबकि विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।
इस पर इस योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई, लेकिन सुनवाई 2019 में शुरू हुई। 12 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि वे 30 मई, 2019 तक में एक लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालांकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई।
दिसंबर, 2019 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया है।
अब, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी छह मार्च तक चुनाव आयोग को देने के निर्देश दिये थे। 4 मार्च को एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इस बीच, कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने SBI के ज़रिए भाजपा को भी थप्पड़ जड़ दिया है।
कोर्ट ने सख़्त चेतावनी देते हुए कहा कि 12th मार्च तक उनके फ़ैसले को नहीं माना गया तो कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू होगी। pic.twitter.com/BgFBMUgng6
— Ritu Choudhary (@RituChoudhryINC) March 11, 2024
अभी हाल ही में 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए कहा था कि यह स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। दो फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने राजनीतिक दलों को फंडिंग का डेटा न रखने पर चुनाव आयोग से नाराजगी जताई थी। साथ ही आयोग से राजनीतिक दलों को 30 सितंबर तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिली रकम की जानकारी जल्द से जल्द देने का निर्देश दिया था। अब कोर्ट ने कल यानी 12 मार्च तक सभी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराने के आदेश जारी कर दिये हैं।
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