गजब- पांच शहरों को सीरियल ब्लास्ट कर दहलाने का आरोपी अब्दुल करीम टुंडा तीस साल बाद बरी
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गजब- पांच शहरों को सीरियल ब्लास्ट कर दहलाने का आरोपी अब्दुल करीम टुंडा तीस साल बाद बरी

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लखनऊ,कानपुर समेत पांच बड़े शहरों में सीरियल ब्लास्ट करने के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को गुरूवार को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया। दो आतंकियों इरफान व हमीदुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। ये ब्लास्ट छह दिसम्बर 1993 में हैदराबाद, सूरत व मुंबई समेत पांच शहरों की ट्रेनों में सिलसिलेवार हुए थे। बीस साल पहले यानी 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने सोलह अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर बाकी की सजा बरकरार रखी थी, जो जयपुर जेल में बंद हैं।

अब्दुल करीम टुंडा। फोटो फर्स्ट बाइट.टीवी
अब्दुल करीम टुंडा।                                                                                                                                                 फोटो फर्स्ट बाइट.टीवी

इससे पूर्व आज गुरूवार को टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन को लेकर पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच टाडा कोर्ट पहुंची थी। अब्दुल करीम उर्फ टुंडा उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के कस्बा पिलखुवा का निवासी है। वह कस्बे में बढ़ई का काम करता था। इसके बाद कपड़े का कारोबार करने मुंबई चला गया। मुंबई के भिवंडी इलाके में उसके कुछ रिश्तेदार रहते थे। 1985 में भिवंडी के दंगों में उसके कुछ रिश्तेदार मारे गए। इसका बदला लेने के लिए उसने आतंक की राह पकड़ी थी। 1980 के आस-पास वह आतंकी संगठनों के संपर्क में आया था।

लश्कर जैसे कुख्यात आतंकी गिरोह से जुड़े अब्दुल करीम का नाम टुंडा एक हादसे के बाद पड़ा था। साल 1985 में टुंडा टोंक जिले की एक मस्जिद में जिहाद की मीटिंग ले रहा था। इस दौरान वह पाइप गन चलाकर दिखा रहा था। तभी यह गन फट गई, जिसमें उसका हाथ उड़ गया। इसके कारण उसका नाम टुंडा पड़ गया।

आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा गाजियाबाद जेल में बंद था। 24 सितंबर 2023 को उसे अजमेर जेल लाया गया था। तब से अजमेर जेल में है। टुंडा साल 2015 में नेपाल बॉर्डर से पकड़ा गया था। इस मामले की तीस साल तक सुनवाई चली। वर्ष 1993 में सरकार बनाम डॉ जलीस अंसारी नाम से दर्ज प्रकरण के आरोपियों पर देश के पांच शहरों में ट्रेनों में सीरियल बम धमाके करने का आरोप है। इनमें कोटा के अमाली, कानपुर में दो ट्रेनों में, सूरत व मुंबई शामिल है। हादसे में सैकड़ों घायल हुए थे, जबकि एक की मौत हो गई थी। सीबीआई ने 1994 में प्रकरण को क्लब करते हुए टाडा कोर्ट अजमेर भेज दिया।

दरअसल, 1994 को यह प्रकरण टाडा कोर्ट में आया था। टाटा कोर्ट ने 28 फरवरी 2004 को आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। जिस पर मोहम्मद यूसुफ, सलीम अंसारी, मोहम्मद निसरूद्दीन, मोहम्मद जहीरूद्दीन को बरी कर दिया गया। इरफान अहमद, निसार अहमद, मोहम्मद तुफैल फरार रहे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2015 से इस प्रकरण की नियमित सुनवाई हो रही है।

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