प्रशिक्षण शिविर के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर इनकी होगी ताजपोशी ?
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प्रशिक्षण शिविर के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर इनकी होगी ताजपोशी ?

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  • अंतिम समय में रोका गया स्वतंत्र देव का इस्तीफा
  • चित्रकूट प्रशिक्षण के बाद इस्तीफे व नये नाम की घोषणा होगी
  • नये नामों में डीएल वर्मा, सुब्रत पाठक, दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य शामिल
  • चित्रकूट में 29 से होगा तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर
  • ब्राह्मण की ताजपोशी होने की संभावनाएं अधिक

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से स्वतंत्र देव सिंह ने इस्तीफा दे दिया है बीते दिवस पार्टी कार्यालय से यह बात छन कर बाहर आ गई थी लेकिन एकाएक ही इस पर ब्रेक लगा दिया गया। अब कहा गया कि चित्रकूट में होने वाली महत्वपूर्ण बैठक के बाद ही नये अध्यक्ष के नाम पर फाइनल मोहर लगायी जायेगी तब स्वतंत्र देव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा इस पर तेजी से मंथन चल रहा है। जिन नामों पर गंभीरता से चर्चा चल रही है उनमें केंद्रीय राज्यमंत्री डीएल वर्मा, बनारस के प्रभारी सुब्रत पाठक के साथ ही दिनेश कुमार शर्मा (पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा नहीं) और केश्व प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल है। एक बड़ा सवाल यह भी है कि भाजपा ब्राह्मण चेहरा लेकर आयेगी या फिर ओबीसी। हालांकि पिछले इतिहास को यदि दोहराया जाये तो इस बार इस पद पर किसी ब्राह्रमण की ताजपोशी हो सकती है।

दरअसल, भाजपा का चित्रकूट में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 29 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसमें 2024 को होने वाले लोकसभा चुनावों का रोड मैप होगा तैयार किया जायेगा। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी किसकी होगी यह सवाल खासा महत्वपूर्ण हो जाता है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि बीते बुधवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने अपने पद से इस्तीफा संबंधी मेल तैयार कर लिया था। कल उसे भेजा ही जाना था कि ऐन वक्त पर हाईकमान के फोन के बाद इसी रोक दिया गया। कहा गया कि अब प्रशिक्षण शिविर के बाद ही इस्तीफे व नये अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जायेगी। प्रशिक्षण शिविर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहेंगे। संभावना जतायी जा रही है कि अंतिम दिन पीएम मोदी भी इसमें शिरक्त कर सकते हैं।

अभी तक जिन नामों पर तेजी से चर्चा हो रही है उनमें केंद्रीय राज्यमंत्री बंदायू डीएल वर्मा, कन्नौज से सांसद व मोदी लोससीट के प्रभारी सुब्रत पाठक, दिनेश कुमार शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य शामिल हैं। इन नामों में दिनेश कुमार शर्मा का नाम काफी चौकाने वाला है। वह प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और बागपत के रहने वाले हैं। पंजाब में पार्टी के संगठन महामंत्री रह चुके हैं। उन्हें वापस यूपी में बुलाया गया है। बताया जाता है कि वह संगठन के कार्यों में काफी सक्रिय रहते हैं और संघ के नजदीक हैं। ब्राह्मण वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश से हैं। खास बात यह भी कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफी करीबी बताए जाते हैं।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में लगभग 18 फीसदी ब्राह्मण वोटर है। हालांकि ब्राह्मण संगठनों यह संख्या 22 फीसदी होने का दावा करते हैं। इसके विपरीत पिछड़े वर्ग के वोटरों की संख्या 50 फीसदी से अधिक बतायी जाती है लेकिन पिछड़े और ब्राह्मण वर्ग में अंतर इस बात का है कि पिछड़ा वर्ग अनेक उप जातियों जैसे कुर्मी, मौर्य, यादव और अन्य वर्ग में बंटा हुआ है जबकि ब्राह्मण के नाम पर वोट एकजुट होता है। इसलिए दांव दोनों और बराबर है।

वहीं, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य संगठन व सरकार पर पकड़ रखते हैं। मौर्य ही नहीं व पिछड़े वर्ग में भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश में निर्विवाद तौर पर सबसे बड़े नेता हैं। 2017 में भी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। तब भाजपा ने 325 सीटें जीतकर रिकॉर्ड तोड़ बहुमत प्राप्त किया था। 15 साल बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी तो माना जा रहा था कि वह मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं, मगर संगठन ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री चुना और केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम।

2022 के विधानसभा चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपने क्षेत्र में जातिगत समीकरणों में उलझ गए और नजदीकी अंतर से चुनाव हार गए। इसके बावजूद उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया। यह बात दीगर है कि पीडब्ल्यूडी से अपेक्षाकृत कम महत्व के ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी उन्हें दी गई है, और वह इससे संतुष्ट भी नहीं हैं।

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