चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर विवाद के पीछे राजनीतिक मकसद-केंद्र ने दिया हलफनामा
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश को शामिल न करने को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है। इसमें कहा गया है कि यह दलील गलत है कि चुनाव आयोग तभी स्वतंत्र होगा जब चयन समिति में जज हों। इस याचिका का मकसद ही केवल राजनीतिक विवाद खड़ा करना है, इससे इतर कुछ और नहीं।
बता दें कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिये अभी तक तीन सदस्यीय चयन समिति में पीएम, चीफ जस्टिस आफ इंडिया व नेता प्रतिपक्ष शामिल होते थे। इस बार केंद्र की मोदी सरकार ने समिति से चीफ जस्टिस को हटा कर उनके स्थान पर केंद्रीय मंत्री को शामिल कर लिया है।
विपक्ष का कहना है कि किसी भी विवाद की स्थिति में बहुमत दो एक के अनुपात में सरकार के पक्ष में ही रहेगा। विपक्ष ने हाल ही में दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को रद्द करने व संबंधित अधिनियम पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है।
इस पर केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना हलफनामा दाखिल कर दिया। मोदी सरकार ने मुख्य न्यायाधीश को शामिल न करने के चलते नियुक्ति रद्द करने की मांग का विरोध किया है। अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा कि यह दलील गलत है कि आयोग तभी स्वतंत्र होगा जब चयन समिति में जज हों।
केंद्र ने अधिनियम पर रोक लगाने की मांग करने वाले आवेदनों का यह कहते हुए विरोध किया कि चुनाव आयोग या किसी अन्य संगठन या प्राधिकरण की स्वतंत्रता का सवाल ही नहीं उठता और यह चयन समिति में न्यायिक सदस्य की उपस्थिति के कारण नहीं है।
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