नगर निगम मेरठ का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से स्टैचू के नाम पर “मजाक”
- कबाड़ से जुगाड़ बनाने का अभियान चला रहा मेरठ नगर निगम
- अधिकांश जगह किये गये प्रयोग कबाड़ में तब्दील
- 2 अक्टूबर को कमिश्नरी पार्क के सामने लगाया स्टेचू
- कबाड़ से बने स्टेचू को दिया गया महात्मा गांधी का नाम
गांधी के स्टेचू को कूड़ा गाड़ी में डालकर भेजा कबाड़ घरराष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी नगर निगम के लिये कबाड़ हो गये। महात्मा गांधी का स्टेचू कबाड़ से बनाया गया था और कबाड़ की ही तरह कूड़ा गाड़ी में डालकर कबाड़ घर भेज दिया गया। कबाड़ से जुगाड़ बनाने में माहिर मेरठ नगर निगम ने शासन की वाहवाही पाने के लिये महात्मा गांधी की स्टेचू जरूर बनायी लेकिन वह किसी हारर पात्र से कम नजर नहीं आई। नगर निगम के जिम्मेदार नौकरशाहों व महापौर को कमिश्नरी चौराहे पर स्थित सेल्फी प्वाइंट पर खड़े किये गये कबाड़ में किधर से राष्ट्रपिता नजर आये, यहां निश्चित रूप से जांच का विषय है। बहरहाल, फजीहत के बाद इस स्टेचू नुमा कबाड़ को वहां से कबाड़ की ही तरह हटा दिया गया। कूड़ा गाड़ी में इस स्टेचू को डालकर आज कबाड़ में डाल दिया गया।
नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा ने सरकार की वाहवाही लूटने के लिये शहर में कई जगह कबाड़ के जुगाड़ खड़े किये हैं। बच्चा पार्क में टूटे हुए साइकिल के रिम लगाकर डिवाइडर बना दिया गया है।विश्वविद्यालय मार्ग पर काटे गये टायर लगाकर कुछ नया करने दिखाने की कोशिश की गई। वहीं ईव्ज चौराहे पर लोहे की किताब का पेड़ बना दिया गया। सर्किट हाउस के बाहर बनाये गये गोल चक्कर पर भी कबाड़ से कुछ ऐसा ही प्रयोग किया गया है। अभी इन सभी प्रयोग को ज्यादा समय नहीं हुआ है लेकिन ये ही कबाड़ नजर आने लगे हैं। जेलचुंगी चौराहे पर जरूर लकड़ी का एक चरखा लगाया गया जिसकी तारीफ शासन स्तर पर हुई।
इस कड़ी में 2 अक्टूबर को नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों ने कमिश्नरी चौराहे पर स्थित सेल्फी प्वाइंट पर एक कबाड़ का स्टेचू खड़ा कर दिया गया। इस स्टेचू को महात्मा गांधी का स्टेचू कह कर प्रचारित किया गया। आज इसे कुछ इस तरह हटा दिया गया।
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