गिरफ्तारी के बाद अब अरविंद केजरीवाल खेलेंगे “विक्टिम कार्ड”
- ईडी की गिरफ्तारी को दी गई थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
- मोदी सरकार पर तानाशाही व लोकतंत्र की हत्या करने के आरोप
- शुक्रवार को होनी थी सुनवाई लेकिन याचिका वापस ले ली
- अब केजरीवाल की सहानुभूति लहर टकरायेगी मोदी सरकार से
- अरविंद जेल से ही सरकार चलायेंगे इस पर संशय बरकरार
- आतिशी को भी मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
समन के बाद समन जारी होने के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को यह तय था कि उनकी गिरफ्तारी अवश्यंभावी है, इसे अब कोई नहीं रोक सकता। हाईकोर्ट में इसके लिये याचिका डाली गयी लेकिन कोर्ट ने भी इस बात का भरोसा देने से इनकार कर दिया कि पूछताछ के बाद ईडी केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं करेगी। शाम का अंधेरा होते ही केजरीवाल पर भी ईडी का साया पड़ गया और उन्हें रात नौ बजे करीब गिरफ्तार कर लिया गया। पार्टी कह रही है कि मोदी सरकार ने डर कर यह गिरफ्तारी कराई है। केजरीवाल को गिरफ्तार किया जा सकता है लेकिन उनकी सोच को नहीं। इसके साथ ही जेल से ही केजरीवाल सरकार चलायेंगे। सवाल उठता है कि क्या ऐसा संभव है ? कानून से जुड़े लोग जवाब देते हैं हां, लेकिन अल्प समय के लिये। यह प्रैक्टिकली संभव नहीं हैं। ऐसे में क्या होगा ?
विस्तार से देखिये 👇
यह सवाल आम जन के मन में हैं तो आम आदमी पार्टी और विशेषत केजरीवाल के मन में भी है। यही कारण है कि इसकी तैयारी उन्होंने करीब एक माह पूर्व ही कर ली थी। यानी गिरफ्तारी के बाद का बी प्लान। इस प्लान के तहत केजरीवाल व पार्टी के प्रति ईमानदार व विश्वनीय को दिल्ली सीएम की कमान सौंपी जा सकती है। यह कौन होगा..तो जवाब सामने है आम आदमी पार्टी सरकार की एजुकेशन मिनिस्टर आतिशी। यह स्थिति हालाकि तब ही संभव है जब अरविंद केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा दे दें।
इंक़लाब ज़िंदाबाद💪
मोदी तेरी जेल भर जाएगी लेकिन इंक़लाबियों की क्रांति और विरोध नहीं रुकेगा #IndiaWithKejriwal pic.twitter.com/lNmr6qQKkZ
— AAP (@AamAadmiParty) March 22, 2024
यहां सवाल उठता है कि गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल के सामने इस्तीफा देने की बाध्यता है ? तो जवाब है नहीं। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए किसी को गिरफ्तार किया गया है। अभी तक जितनी भी गिरफ्तारी हुई हैं वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ही की गई हैं।
VIDEO | "The circumstances in the country today is like an unannounced emergency. Arvind Kejriwal was arrested fraudulently. We have full faith on the legal system, there may some delay, but justice will be done," says AAP leader Sandeep Pathak (@SandeepPathak04) during a press… pic.twitter.com/y6jvS4YJs0
— Press Trust of India (@PTI_News) March 22, 2024
इसके अलावा लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 में भी इस बात का जिक्र कहीं नहीं है कि जेल जाने पर मुख्यमंत्री या मंत्री को इस्तीफा देना पड़े। हालांकि ये मैटर बहुत पेचीदा है। इसके भीतर बहुत सी लेयर हैं। इसलिए हां या ना में कुछ नहीं कहा जा सकता। हां, इतना जरूर है कि गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा देने की बाध्यता नहीं हैं। यहां यह सवाल भी बराबर उठ रहा है कि केजरीवाल को बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए गिरफ्तार करना कानूनी रूप से सही है ? तो जवाब यह है कि देश में सिर्फ राष्ट्रपति और राज्यपाल को ही क्रिमिनल मैटर में गिरफ्तारी से छूट है,अन्य को नहीं।
VIDEO | Delhi minister Atishi (@AtishiAAP) detained during protest by AAP workers at ITO against Delhi CM Arvind Kejriwal's arrest.#KejriwalArrest
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvqRQz) pic.twitter.com/AfUY4nMk7s
— Press Trust of India (@PTI_News) March 22, 2024
अब बात करते हैं गिरफ्तारी के बाद की। अगर केजरीवाल को दो साल की सजा होती है तो वह अपने पद पर बने रह सकते हैं। हां इससे ज्यादा होने पर ही अयोग्य घोषित किये जायेंगे। उसके बाद वे पद से हटेंगे। इसमें भी छह माह का समय लगेगा। अयोग्य घोषित होने के लिए लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के तहत ये नियम है।
अब बात अरविंद केजरीवाल के प्लान बी की। इसके तहत अरविंद केजरीवाल आतिशि को यह जिम्मा दे सकते हैं। डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद उनके सभी पद भार अतिशि को ही दिये गये हैं। यहां दो पहलू हैं..एक केजरीवाल इस्तीफा देकर आतिशी को सीएम बना दें या फिर सीएम केजरीवाल ही रहें और आतिशि एक्टिंग सीएम का काम करेंगी। यहां यह बात भी केजरीवाल के मन में आ सकती है कि यदि किसी अन्य को सीएम की कुर्सी दी गई तो पार्टी पर उनकी पकड़ कमजोर हो जायेगी। राजनीति में ऐसे तमाम उदाहरण हैं जिसमें नंबर दो ही नंबर एक के लिये परेशानी का सबब बन गया।
AAP कार्यकर्ताओं का दिल्ली में प्रचंड प्रदर्शन!
विपक्ष विहीन चुनाव तो कोई भी जीत जाएगा, 56 इंच की छाती में जान है तो सामने आकर राजनीति करे भाजपा, ED-CBI के सहारे नहीं।#देश_केजरीवाल_के_साथ_है pic.twitter.com/Htdd7go1WR
— AAP (@AamAadmiParty) March 22, 2024
अरविंद केजरीवाल की गुरूवार की रात हुई गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा रात ही खटखटा दिया था। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार तानाशाही पर उतारू है, झूठे आरोपों में आप नेताओं को जेल भेजा जा रहा है। आज इस पर सुनवाई होनी थी लेकिन ऐन वक्त पर आम आदमी पार्टी ने अपनी याचिका वापस ले ली। यह वह निर्णय है जिसे देखकर कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी अब लोकसभा चुनाव में विक्टिम कार्ड खेलने के मूड में है। वह जनता के बीच जायेगी और बतायेगी किस तरह मोदी सरकार लोकतंत्र को खत्म करने पर उतारू है। उनके नेताओं को झूठे मामलों में जेल भेजा जा रहा है।
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