किसान आंदोलन में जयंत चौधरी का “नमक पानी लोटा” खोया
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किसान आंदोलन में जयंत चौधरी का “नमक पानी लोटा” खोया

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  • कभी खाई थी जयंत ने मोदी सरकार उखाड़ फेंकने की कसम
  • मोदी सरकार पर लगाये थे किसान विरोधी होने के गंभीर आरोप
  • काले कानून आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे जयंत
  • भाजपा सरकार के खिलाफ महापंचायतों में हुए थे शरीक
  • भारत रत्न मिलने से प्रफ्फुलित जयंत चौधरी भूले किसानों को 

सरकार वही है, किसान वही है, किसान की मांग वही है और इसे लेकर चल रहा आंदोलन भी। नहीं हैं तो बस किसान राजनीति करने वाले रालोद मुखिया जयंत चौधरी। कल तक जिस जयंत चौधरी को भाजपा की केंद्र सरकार में किसान विरोधी चेहरा नजर आता था ,आज उसमें उन्हें चौ.चरण सिंह की किसान हित की नीतियां दिखाई दे रही हैं। दादा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजे जाने के बाद प्रफुल्लित जयंत चौधरी तभी बोल भी पड़े कि अब भाजपा संग जाने से वह किस मुंह से इनकार करें। यानी किसानों की समस्याएं एक तरफ, भारत रत्न देकर कुछ कहने की स्थिति में न छोड़ना दूसरी तरफ।

बात उन दिनों की है जब देश व किसान हित में बताते हुए केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लागू कर दिये थे। किसानों ने इन तीन कानून को काला कानून बताते हुए देश भर मे आंदोलन छेड़ दिया था। किसानों का साफ मत था कि इन काले कानून से किसान अपनी ही जमीन पर अडाणी का नौकर बनकर रह जायेगा, उसकी जमीन छीनने के लिये यह सारा प्रोपेगेंडा रचा गया है। इसका खूब विरोध हुआ, कई माह तक यूपी बार्डर पर किसानों का आंदोलन चलता रहा। दावा यह भी है कि इस आंदोलन में साढ़े सात सौ से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई। किसानों के इस आंदोलन के दौरान रालोद मुखिया भी कई मर्तबा कंधे से कंधा और सुर से सुर  मिलाते नजर आये थे। मंच से सरकार के खिलाफ भाषण भी दिए। दिल्ली कूच के रास्ते में सरकार द्वारा बिछाए गई कील व नुकीले तारों और अंतरार्ष्ट्रीय सीमा सरीखी बेरिकेडिंग पर भी जयंत चौधरी ने सवाल करते हुए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की थी। नमक पानी और लोटा लेकर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम भी जयंत चौधरी ने खाई थी।

इन सब के बीच लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गये हैं। दो साल बाद किसान फिर आंदोलन की राह पर है लेकिन रालोद और पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी नहीं।

आइये पहले बैक ग्राउंड में चलकर देखते हैं जयंत चौधरी के तेवर तब कैसे थे और उन्होंने क्या कहा था।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले किसान आंदोलन के दौरान जयंत खुद सिंधु बॉर्डर पर किसानों के बीच पहुंचे थे। तब जयंत चौधरी ने कहा था कि देश का किसान संकट में है, ऐसे में उसकी सेवा करना मेरा कर्तव्य है। तीनों नए कृषि कानून किसानों पर थोपे गए हैं। ये कॉर्पोरेट को फायदा देंगे। सरकार को किसानों की मांगें तुरंत माननी चाहिए। 2021 में किसान आंदोलन के दौरान जयंत चौधरी ने मुरादाबाद के कांठ में एक जनसभा की थी। कहा था कि किसान आंदोलन सरकार की देन है। जयंत ने कहा था कि आज किसान पर ही नहीं, पूरे देश पर हमला हो रहा है।  यदि यूपी में रालोद की सरकार बनेगी तो किसानों को लाभ, युवाओं को सरकारी नौकरी, महिलाओं को नौकरी दी जाएगी। यह बात उन्होंने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बोली थी।
इतना नहीं, जब गृह मंत्री अमित शाह ने वार्ता के लिये तमाम जाट नेताओं को न्यौता दिया था तो जयंत चौधरी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि न्योता मुझे नहीं, उन सात सौ से ज्यादा किसान परिवार को दिया जाये ,जिनके घर उजड़ गये हैं। कृषि आंदोलन के दौरान किसानों पर जो जुल्म किये गये हैं, उन्हें कैसे भुलाया जा सकता है।
केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ तब चले किसान आंदोलन के दौरान कई जगह पंचायतें आयोजित की गई थी। इन पंचायतों में खुद जयंत चौधरी भी पहुंचे थे।  मुजफ्फरनगर में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत द्वारा बुलाई गई महापंचायत में जयंत ने हाथ में लोटा, पानी और नमक लेकर शपथ ली थी कि किसानों के साथ सरकार जो कर रही है वो गलत है। ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।
इन नये हालातों के बीच तेजी से बदले घटनाक्रम के दौरान भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि अगर इस बार जयंत चौधरी किसानों और सरकार के बीच फैसला नहीं करा पाए, तो उन्हें बड़ा नुकसान होगा। जयंत अब भाजपा के साथ ही हैं। उन्हें किसानों का फैसला करा देना चाहिए। सरकार भी समझ ले, महज भारत रत्न देने से काम नहीं चलेगा। किसानों की परेशानियों का हल भी करना होगा। अगर समाधान न करा पाए तो बात उल्टी भी पड़ सकती है।

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