खुशखबरी-मेरठ के भीतर पहली बार चली मेट्रो
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खुशखबरी-मेरठ के भीतर पहली बार चली मेट्रो

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मेरठ शहरवासियों के लिये बड़ी खुशखबरी। आज सुबह मेरठ मेट्रो का ट्रायल रन आरंभ हो गया। इस ट्रायल के दौरान पहली बार मेट्रो आज यानी रविवार को शहर के अंदर पहली बार चली है। यह ट्रायल मेरठ साउथ से मेरठ सेंट्रल स्टेशन यानी एचआरएस चौक तक किया गया। ट्रायल रन की इस प्रक्रिया में, मेरठ साउथ से मेरठ सेंट्रल स्टेशन के ठीक पहले तक मेरठ मेट्रो की विभिन्न ट्रेनों को अलग-अलग गति पर चला कर उनका परीक्षण किया गया।

दरअसल, ट्रायल रन की प्रक्रिया में मेरठ मेट्रो की ट्रेनों का ट्रैक और ट्रैकशन के साथ परीक्षण किया जा रहा है। इस दौरान ट्रेन कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम (टीसीएमएस) के तहत आरंभ में मैन्यूअल तरीके से ट्रेन को ऑपरेट किया जा रहा है। ट्रेन को मेरठ साउथ स्टेशन से बहुत धीमी रफ्तार में मेरठ सेंट्रल के भूमिगत खंड से ठीक पहले तक के खंड तक लाया गया, जहाँ से वापसी में इसकी रफ्तार को थोड़ा बढ़ाते हुए मेरठ साउथ वापस ले जाया गया। इन ट्रेनों को 40 किमी प्रति घंटे से लेकर 135 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति पर इस दूरी में चला कर इनका परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण की यह प्रक्रिया आगे परिचालन तक निरंतर जारी रहेगी।

मेरठ के भीतर हुआ पहली  बार ट्रायल 👇

ट्रायल रन के दौरान, अंतरराष्ट्रीय मानक प्रक्रिया के अनुसार ट्रेनों के विभिन्न प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं। इनमें यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, ट्रेनों में सैंडबैग भरकर वजन परीक्षण करना और ट्रेनों की गतिशील परिस्थितियों में सुरक्षा संबंधी जांच शामिल है। साथ ही, इस प्रक्रिया में यात्रियों के लिए राइडिंग कम्फर्ट या आरामपूर्वक यात्रा का भी मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए ट्रेनों को कॉरिडोर में ट्रैक पर उपलब्ध विभिन्न मोड़ों पर चलाया जाता है। इसके अलावा, सिग्नलिंग, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी), ओवरहेड सप्लाई सिस्टम आदि जैसे विभिन्न उप-प्रणालियों के साथ इसके समन्वय को सत्यापित करने के लिए ट्रेन के एकीकृत प्रदर्शन की जांच करने हेतु कुछ परीक्षण भी किए जाते है।

दरअसल, मेरठ मेट्रो के लिए 3 कोच वाले 12 ट्रेन सेट का निर्माण गुजरात के सावली स्थित मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में किया गया है। इनमें से 10 ट्रेन सेट दुहाई स्थित डिपो पहुँच चुके हैं। मेरठ मेट्रो के डिज़ाइन में यात्रियों के लिए अधिकतम आराम, सुरक्षा और संरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। ट्रेनें वातानुकूलित हैं, जिनमें एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई 2×2 ट्रांसवर्स और लंबवत (लांगिट्यूडनली) बैठने की व्यवस्था है। इसमें सामान रखने की रैक, ग्रैब हैंडल, यूएसबी डिवाइस चार्जिंग सुविधा और यात्रियों के लिए आवश्यक अन्य कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

भारत में पहली बार सेमी-हाई स्पीड नमो भारत ट्रेनों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर ही, मेरठ में स्थानीय मेट्रो का परिचालन किया जाएगा। मेरठ मेट्रो कॉरिडोर की कुल लंबाई 23 किलोमीटर है, जिसमें 18 किमी एलिवेटेड और 5 किमी हिस्सा अंडरग्राउंड है। इसके लिए 3 भूमिगत स्टेशन समेत कुल 13 स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिनके नाम मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैंसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम और मोदीपुरम डिपो हैं। इनमें से मेरठ साउथ, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम स्टेशनों पर नमो भारत व मेरठ मेट्रो, दोनों सेवाएं उपलब्ध होंगी। मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल अंडरग्राउंड स्टेशन होंगे जबकि बाकी स्टेशन एलिवेटेड होंगे।

मेरठ मेट्रो के सभी स्टेशन आकार ले चुके हैं और इनका सिविल निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। इनमें से परतापुर और रिठानी मेट्रो स्टेशनों पर तो ओएचई का कार्य भी पूर्ण हो गया है और वहां फिनिशिंग कार्य किया जा रहा है। शताब्दी नगर स्टेशन तक पीएसडी लगाए जा चुके हैं और लाइटिंग की व्यवस्था भी हो गई है। अंडरग्राउंड सेक्शन के मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल स्टेशन अपने आकार में आ चुके हैं और इनकी फिनिशिंग का कार्य भी गति से प्रगति कर रहा है। एनसीआरटीसी का लक्ष्य है कि इस वर्ष पूरे मेरठ मेट्रो कॉरिडोर को जनता के लिए परिचालित कर दिया जाए।

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