घबराई हुई भाजपा भेजवा रही है सीबीआई के नोटिस-अखिलेश यादव
पांच साल पुराने अवैध खनन के मामले में तल्ब किये गये सपा प्रमुख अखिलेश यादव आज सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए। उन्हें बतौर गवाह के रूप में बुलाया गया था। इस पर उनकी पत्नी डिंपल यादव ने टिप्पणी की है कि लोकसभा चुनाव आने व स्वयं को कमजोर पाते हुए ये नोटिस दिया गया है। वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि सभी जानते हैं कि समन कौन भेजवा रहा है। वह समझते हैं कि चुनाव आयेगा तो नोटिस तो आयेगा ही। पिछले पांच साल से सीबीआई चुप क्यों बैठी हुई थी ?
दरअसल, बीते दिवस ही सीबीआई ने पांच साल पुराने अवैध खनन मामले में अखिलेश यादव को गुरूवार यानी 29 फरवरी को पेश होने के लिये नोटिस जारी किया है। अखिलेश यादव आज सीबीआई के सामने पेश तो नहीं हुए अलबत्ता उन्होंने लिखित जवाब जरूर सीबीआई को भेज दिया। लखनऊ मुख्यालय पर मीडिया से वार्ता करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि सभी जानते हैं कि ये नोटिस कौन भेजवा रहा है। दरअसल, भाजपा इस समय सबसे ज्यादा कमजोर और घबराई हुई है।
#WATCH | On CBI summons in connection with the alleged illegal mining case, Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav says, "I have responded to CBI."
He further adds, "BJP is feeble. A government that promised that they would set a record by conducting exams for 60 lakh students… pic.twitter.com/sYGQNRhNtl
— ANI (@ANI) February 29, 2024
अखिलेश ने यहा कि भाजपा को अब मनोज पांडेय को डिप्टी सीएम बना देना चाहिए। भाजपा तो एक्सचेंज के थीम पर चलती है। दिनेश शर्मा हटे तो कोई और आया। अब इनकी बारी है। सपा सुप्रीमो ने कहा कि जिस सरकार ने दावा किया है कि 60 लाख बच्चों को नौकरी देंगे। उसने जानबूझकर प्रश्न पत्र लीक कराया है। सरकार की नीयत ठीक नहीं है। नौकरी देंगे तो आरक्षण देना पड़ेगा। आरक्षण देना पड़ेगा तो PDA मजबूत होगा। अग्निवीर इसलिए लाई गई है कि सरकार PDA परिवार की आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहती है।
अब बात करते हैं उस अवैध खनन मामले की जिसे लेकर यह नोटिस सीबीआई द्वारा जारी किया गया है। दरअसल, अवैध खनन का यह मामला हमीरपुर में 2012-2016 का है। जनवरी 2019 में सीबीआई ने ग्यारह लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इसमें हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी. चंद्रकला , खनिज अधिकारी मोईनउद्दीन, सपा एमएलसी रमेश मिश्रा (अब भाजपा में हैं), संजय दीक्षित और उनके पिता सत्यदेव दीक्षित सहित अन्य लोग शामिल थे। इसके बाद सीबीआई ने बी. चंद्रकला के लखनऊ स्थित फ्लैट समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी कानपुर, लखनऊ, हमीरपुर, जालौन, नोएडा में हुई थी।
इसके बाद आईपीसी की धारा- 379, 384, 420, 511 120 B और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत सीबीआई द्वारा केस दर्ज किया गया था। FIR में कहा गया था कि सरकारी कर्मचारियों ने हमीरपुर में खनिजों का अवैध खनन होने दिया। सरकारी अधिकारियों ने आपराधिक साजिश रची। टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया। अवैध रूप से नए पट्टे और नवीनीकरण किया। 2012 से 2016 के बीच अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। उस वक्त गायत्री प्रजापति खनन मंत्री थे। अवैध खनन सामने आने के बाद उनका विभाग बदल गया था। यह विभाग सीएम के पास आ गया था।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि अखिलेश के पास कुछ समय तक खनन विभाग था। ई-टेंडर प्रोसेस का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूर थी। इनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी।
सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी 2013 को 2012 की ई- टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन करने के बाद हमीरपुर की डीएम बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे।
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