घोटालेबाज विजेंद्र हुड्डा के “मददगार” आये जांच के रडार पर, कहां गई दीप्ति बहल ?
BREAKING उत्तर प्रदेश मुख्य ख़बर राष्ट्रीय

घोटालेबाज विजेंद्र हुड्डा के “मददगार” आये जांच के रडार पर, कहां गई दीप्ति बहल ?

Spread the love
10 Views
  • विजेंद्र हुड्डा के “मददगार” आये जांच के रडार पर 
  • बाहर बैठकर पहुंचा रहे हैं हुड्डा को मदद
  • पांच लाख की इनामी दीप्ति बहल को आसमां निगल गया या.. ? 
  • देश की सभी जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
  • मोनाड के हजारों छात्रों का भविष्य अंधकारमय 
  • फर्जी डिग्री बनाने का ठप्पा लगा मोनाड यूनिवर्सिटी पर 
  • एल्पाइन टेक्निकल एजूकेशन सोसायटी की बिल्डिंग जब्त क्यों नहीं-मुन्ना
  • 32 करोड़ रुपया गर्वित ने किया है एल्पाइन को ट्रांसफर
  • एसवीएस मवाना का रेकार्ड भी जांच के दायरे में 

छह  साल से बोतल में बंद बाइक बोट घोटाला एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। चर्चा में आने का एक बड़ा कारण घोटाले का असली मजा लेने वाले विजेद्र सिंह हुड्डा की गिरफ्तारी है। विजेंद्र हुड्डा को फर्जी मार्कशीट व डिग्री बेचने के आरोप में यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। विजेंद्र हुड्डा की यह गिरफ्तारी पिलखुआ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी से की गई है। एसटीएफ के मुताबिक विजेंद्र सिंह हुड्डा मोनाड यूनिवर्सिटी का चेयरमैन है। हुड्डा का गैंग यही से देश के विभिन्न राज्यों में जाली डिग्री व मार्कशीट बेचने के धंधे को बड़े पैमाने पर अंजाम देता आ रहा था। जांच एजेंसियों को यह भी जानकारी मिली है कि हाल ही में बिहार राज्य में हुई शिक्षकों की भर्ती में भी मोनाड यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री व मार्कशीट का इस्तेमाल किया गया है। जांच एजेंसियां अब उन लोगों को भी अपनी जांच के दायरे में ला रही हैं जो बाहर रहकर विजेंद्र सिंह हुड्डा व बाकी घोटालेबाजों को कानूनी मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं। गंभीर व दिलचस्प तथ्य यह भी है कि मुख्य आरोपी संजय भाटी की पत्नी दीप्ति बहल और भूदेव छह साल बाद भी जांच एजेंसियों की पकड़ से कोसो दूर हैं, वह भी तब जबकि इन दोनों पर ही पांच लाख रुपये का इनाम घोषित है। इन लोगों को जमीन खा गई अथवा आसमां निगल गया इसका जवाब इंटरपोल, सीबीआई,ईडी,एसआईटी समेत कई राज्यों की वे 17 जांच एजेंसियां देंगी जो इस मामले की जांच में जुटी हैं। कहीं न कहीं यह जांच एजेंसियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाने के लिये काफी है।

विस्तार से देखिये 👇
https://youtu.be/ONUcB5TLXig

आइये पहले बताते हैं क्या है बाइक बोट घोटाला। दरअसल, ग्रेटर नोएडा के ग्राम चीती निवासी संजय भाटी ने 2010 में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई थी। 2018 में संजय ने बाइक बोट स्कीम लांच करते हुए बाइक टैक्सी की शुरुआत की। इसमें निवेशक से एक बाइक की कीमत करीब 62 हजार रुपये लिये गये। उन्हें 9765 रुपये प्रति माह लौटाने का वादा किया गया था। कुछ समय बाइक बोट चली और फिर सभी निवेशकों का करोड़ों रुपया समेट कर गायब हो गई। दिल्ली,गाजियाबाद, मेरठ मुजफ्फरनगर समेत देश के कई शहरों में पांच सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज किये गये। पीड़ितों में फौजियों की संख्या सर्वाधिक है। गंभीर बात यह भी कि हर एजेंसी ने घोटाले की रकम का अलग अलग ही अनुमान लगाया। दिल्ली पुलिस जहां इस घोटाले को 42 हजार करोड़ रुपये का मानती है वहीं ईओडब्ल्यू मेरठ 5000 करोड़। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में इसे 15 हजार करोड़ का घोटाला बताया है।
घोटाले की इस रकम से इस गैंग के सभी गुर्गों ने बड़ी संख्या में मोटी प्रापर्टी बना ली हैं। जांच एजेंसियों का मनाना है कि बाइक बोट घोटाले की राशि से ही एसवीएस मवाना व मोनाड यूनिवर्सिटी खरीदी गई हैं। हालांकि एजेंसियों को भटकाने के लिये गैंग की सारी खरीद फरोख्त शैल कंपनियों द्वारा की गई हैं। ग्रेटर नोएडा स्थित एल्पाइन टेक्निकल एजूकेशन सोसायटी जीटी रोड को 32 करोड़ रुपये गर्वित इनोवेटिव से ट्रांसफर किया गया है। पिछले छह साल से धरने पर  बैठे मुन्ना  बालियान का कहना है कि बावजूद इसके इस बिल्डिंग को रहस्यमय हालात में  जब्त नहीं किया जा रहा है।
Follow us on 👇

फेसबुक –https://www.facebook.com/groups/480505783445020
ट्विटर –https://twitter.com/firstbytetv_
चैनल सब्सक्राइब करें –https://youtube.com/@firstbytetv
वेबसाइट –https://firstbytetv.com/
इंस्टाग्राम – https://www.instagram.com/firstbytetv/