देश का अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ लाए अडानी ग्रुप को बड़ा झटका लगा है। एफपीओ आने से पूर्व हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने ग्रुप के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। इस रिपोर्ट के बाद शाख व प्रतिष्ठा पर लगातार हो रहे हमले के बीच गौतम अडानी को अप्रत्याशित फैसला लेते हुए एफपीओ वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी है। अडानी की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का यह एफपीओ 20,000 करोड़ रुपये का है।
हिंडनबर्ग की यह रिपोर्ट पिछले बुधवार को सामने आयी थी। इस रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों में भारी गिरावट देखी जा रही है। ग्रुप का मार्केट कैप करीब 90 अरब डॉलर घट गया है। साथ ही अडानी की नेटवर्थ में 48.5 अरब डॉलर की गिरावट आई है और वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 13वें नंबर पर खिसक गए हैं। एफपीओ क्यों वापस लेना पड़ा इसकी जानकारी स्वयं गौतम अडानी ने जारी की है। इसमें कहा गया है कि पिछले हफ्ते कंपनी के शेयर में काफी उतार चढ़ाव आया। बावजूद इसके एफपीओ मंगलवार को सफलतापूर्वक बंद हुआ। बुधवार को भी कंपनी के शेयर में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव रहा। असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए कंपनी के बोर्ड ने फैसला लिया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा। निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और उन्हें किसी तरह के संभावित नुकसान से बचाने के लिए बोर्ड ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है।
इससे पूर्व गौतम अड़ानी ने हिंडनबर्ग की सनसनीखेज रिपोर्ट को सीधे भारत पर हमला करार दिया था। भारत पर यह हमला किस तरह है इसे लेकर भी सोशल मीडिया पर तमाम सवाल खड़े किये गये हैं। हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि अडानी ग्रुप कारपोरेट दुनिया की सबसे बड़ी धोखाधड़ी है। जो कर्ज अडानी ग्रुप ने ले रखा है वह निवेशकों को वित्तीय तौर पर बहुत जोखिम वाली स्थिति में डालने वाला है। हिंडनबर्ग के इस बयान के बाद अब भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के सभी बैंकों से गौतम अडानी ग्रुप को दिये गये कर्जें की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। भारतीय विपक्ष भाजपा की केंद्र सरकार व पीएम मोदी को घेरने में लगा है। पीएम मोदी पर अडानी का दोस्त होने व उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाने के आरोप विपक्ष लगातार लगाता आ रहा है। गौतम अडानी ने भी अपनी संपत्ति में बेइतहाशा वृद्धि की है। यहां तक कि बेहद अल्प अवधि में गौतम अडानी ने मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया था। वह एशिया के सबसे अमीर शख्स बन गये थे। जिस तेजी से यह वृद्धि देखने में आयी, हर शख्स हैरत में था।
जहां तक बात हिंडनबर्ग की है तो यह कंपनी 2017 में शुरू की गई थी। हिंडनबर्ग ‘शॉर्ट सेलिंग’ की स्पेलिस्ट है यानी वह ऐसी कंपनियों के शेयर में सट्टा लगाती है जिनके भाव गिरने की अपेक्षा हो। रिपोर्ट सार्वजनिक होने व ग्रुप के शेयरों में आई गिरावट के बाद हरकत में आये अदानी ग्रुप के बारे में हिंडनबर्ग ने कहा कि “हमारी रिपोर्ट आने के बाद पिछले 36 घंटों में अदानी ने एक भी गंभीर मुद्दे पर जवाब नहीं दिया है। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 सटीक सवाल पूछे थे जो कि हमारे मुताबिक कंपनी को अपने आप को निर्दोष साबित करने का मौका देते हैं.” लेकिन अभी तक अदानी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। अलबत्ता अदानी ने धमकी का रास्ता चुना है। मीडिया को दिये एक बयान में अदानी ने हिंडनबर्ग की 106 पन्नों की, 32 हज़ार शब्दों की और 720 से ज़्यादा उदाहरण के साथ दो सालों में तैयार की गई रिपोर्ट को “बिना रिसर्च का” बताया है। साथ ही कहा कि वह हमारे ख़िलाफ़, “दंडात्मक कार्रवाई के लिए अमेरिकी और भारतीय कानूनों के तहत प्रासंगिक प्रावधानों का मूल्यांकन कर रहे हैं.” । हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि अडानी ग्रुप दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट धोखाधड़ी में शामिल रहा है।
हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि “जहां तक कंपनी द्वारा क़ानूनी कार्रवाई की धमकी की बात है, तो हम साफ़ करते हैं, हम उसका स्वागत करेंगे। हम अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह से कायम हैं, और हमारे ख़िलाफ़ उठाए गए क़ानूनी कदम आधारहीन होंगे। अगर अदानी गंभीर हैं, तो उन्हें अमेरिका में केस दायर करना चाहिए। दस्तावेज़ों की एक लंबी लिस्ट है जिसकी क़ानूनी प्रक्रिया के दौरान हम डिमांड करेंगे.” रिपोर्ट ने मॉरिसस और कैरिबियन जैसे विदेशी टैक्स हैवेन में मौजूद कंपनियों पर अदानी ग्रुप की मिल्कियत पर सवाल खड़ा किया है।
इन ताजा हालात के बीच गौतम अडानी ने कहा कि उनके इस फैसले से कई लोगों को आश्चर्य हो रहा होगा कि फुली सब्सक्राइब होने के बावजूद इसे वापस क्यों लिया गया। दरअसल, मार्केट में कल आए उतारचढ़ाव के बाद बोर्ड को लगा कि इस एफपीओ को आगे बढ़ाना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। इस फैसले का हमारे मौजूदा कामकाज और भविष्य की योजनाओं पर कोई असर नहीं होगा। हमारा फोकस अपने प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने पर रहेगा। कंपनी के फंडामेंटल्स स्ट्रॉन्ग हैं। बैलेंस शीट और एसेट्स मजबूत हैं। एबिटा लेवल और कैश फ्लो स्ट्रॉन्ग है और कर्ज के समय पर भुगतान का हमारा अच्छा रेकॉर्ड है।
मोदी सरकार को तुरंत JPC का ऐलान करना चाहिए।
आख़िर किसके आदेश पर LIC SBI का लाखों करोड़ अडानी को दिया गया?
विपक्ष में तो चिल्ला-चिल्ला कर JPC की माँग करती थी BJP https://t.co/cRLstl8zYI— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) February 2, 2023
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