सपा नेता विनय तिवारी के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी
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सपा नेता विनय तिवारी के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

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लोकसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है प्रवर्तन निदेशालय ईडी की छापेमारी भी तेज हो गई है। आज पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी के लखनऊ व गोरखपुर घर पर ईडी ने छापेमारी की है। इसके साथ ही यूपी व हरियाणा के तीन अन्य ठिकानों पर  भी यह कार्रवाई की जा रही है। ईडी ने यह कार्रवाई विनय की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेस लिमिटेड द्वारा बैंकों के कंसोर्टियम का 1129.44 करोड़ रुपए हड़पने के आरोप संबंधी मामले में की है। करीब तीन माह पूर्व ही ईडी गोरखपुर के चिल्लुपार विधानसभा से बसपा के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की करीब 73 करोड़ की संपत्तियां जब्त कर चुकी है।

दरअसल, आरोप है कि गंगोत्री इंटरप्राइजेज ने बैंक से पैसे लेकर उसे अदा नहीं किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने विनय तिवारी की गोरखपुर, महराजगंज और लखनऊ स्थित कुल 27 संपत्तियों को जब्त कर लिया है। इनमें खेती की जमीन, कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, आवासीय परिसर और आवासीय भूखंड शामिल हैं।

ED की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि गंगोत्री एंटरप्राइजेज ने अपने प्रमोटर्स, निदेशक, गारंटर संग मिलकर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड़ रुपए की क्रेडिट सुविधाओं का फायदा लिया था। बाद में इस रकम को उन्होंने अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया और बैंकों की रकम को वापस नहीं किया। इससे बैंकों के कंसोर्टियम को करीब 754.24 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

CBI ने इस पर विनय के साथ ही उनकी पत्नी रीता तिवारी और कंपनी के एक अन्य निदेशक अजीत पांडेय को नामजद करते हुए  19 अक्टूबर 2020 को दिल्ली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। यह रिपोर्ट बैंक आफ इंडिया की शिकायत पर दर्ज की गई थी।

बता दें कि विनय शंकर तिवारी बाहुबली पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे हैं। वह  2017 में बसपा के टिकट पर भी गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायक चुने गए थे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी को पराजित किया था। इससे पहले इनके पिता हरि शंकर तिवारी लगातार 22 साल इसी सीट से विधायक रहे थे। उन्हें राजेश त्रिपाठी ने ही बसपा प्रत्याशी के रूप में हराया था। जबकि साल 1997 से लेकर 2007 तक वह लगातार प्रदेश सरकार में कैबिनेट में मंत्री भी रहे। पूर्वांचल में अपने राजनीतिक रसूख के कारण यह परिवार लगातार चर्चा में रहा है।

इसके बाद विनय शंकर तिवारी और उनका परिवार समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में वे एक बार फिर सपा के टिकट पर चिल्लुपार विधानसभा से मैदान में उतरे। लेकिन, भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी ने उन्हें हरा दिया। लेकिन, चुनाव हारने के बाद भी सपा में उनका कद बढ़ता चला गया। यूपी में 12 से 14% ब्राह्मणों को जोड़ने लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें सपा का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। विनय के पास अकूत संपत्ति बतायी जाती है।

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