Inside Story दिनेश खटीक इस्तीफा प्रकरण- कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है
- मुख्यमंत्री योगी की बजाय गृहमंत्री अमित शाह को भेजा त्यागपत्र
- इस्तीफे में बतायी उचित सम्मान न मिलने की वजह
- भ्रष्टाचार पर योगी के कड़े रूख के बाद हडकंप के हालात
- योगी ने कहा-मंत्री स्टाफ पर सख्त नजर रखें, आंख न मूंदे
- भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा-योगी
- पीडब्लूडी पर कड़े एक्शन के बाद जितिन प्रसाद भी बगावती मूड में
रात भर की चुप्पी, मोबाइल बंद, सुबह इस बात की तस्दीक कि.. ऐसा कोई विषय नहीं और कुछ ही देर बाद हस्तिनापुर से विधायक दिनेश खटीक का राज्य मंत्री पद से इस्तीफा सोशल मीडिया पर सुर्खी बन गया। दिलचस्प तथ्य है कि दिनेश खटीक ने अपना इस्तीफा देश के गृह मंत्री अमित शाह को भेजा है, प्रदेश के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ को नहीं। सीएम योगी व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव से असहजता के बीच समझा जा सकता है कि इस्तीफे की वजह सिर्फ वह नहीं जो पत्र में नजर आ रही है, बात कुछ और भी है जिसकी फिलहाल पर्दादारी है। तबादलों के दौर में भ्रष्टाचार के चलते योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल पांडेय को हटाने के साथ ही विभागाध्यक्ष मनोज गुप्ता, प्रमुख अभियंता नियोजन राकेश सक्सेना व वरिष्ठ स्टाफ आफिसर शैलेंद्र यादव को निलंबित कर दिया है। ऐसे ही तबादले जल ऊर्जा विभाग में भी हुए हैं। दिनेश खटीक दिल्ली रवाना हो गये हैं आज जितिन प्रसाद भी गृहमंत्री अमित शाह से मिल रहे हैं। उधर, बताया जा रहा है कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य भी सहजता महसूस नहीं कर रहे हैं हालांकि हार के बावजूद उन्हें डिप्टी चीफ बनाया गया है।
योगी आदित्यनाथ द्वारा भ्रष्टाचार पर प्रहार करते ही तमाम विभागों व ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप के हालात हैं। इस नये ताजे घटनाक्रम को भी इसी दृष्टि से देखा जा रहा है। हालांकि इस डैमेज कंट्रोल के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नया बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने मंत्रियों को भी सख्त नसीहत व हिदायत देते हुए कहा है कि “सभी मंत्रियों को ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम करने की जरूरत है। सरकार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार और अनियमितता की किसी भी एक घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.” मंत्रियों से सीएम ने स्पष्ट कहा कि किसी भी फाइलों पर जल्दबाजी में दस्तखत नहीं करें। किसी भी फैसले को लेने से पहले मेरिट को आधार माना जाना चाहिए।
उधर, सोशल मीडिया पर वायरल इस्तीफे में मंत्री दिनेश खटीक ने आरोप लगाया है कि दलित होने की वजह से विभाग में उनकी सुनवाई नहीं होती है हालांकि उन्हें दलित होने के कारण ही मंत्री बनाया गया था। मंत्री ने कहा कि उन्हें किसी बैठक की सूचना भी नहीं दी जाती है। मंत्री के अधिकार के तौर पर मुझे सिर्फ गाड़ी दे दी गई है। मंत्री ने ट्रांसफर के मामलों में भी बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि मैंने अधिकारियों से जानकारी मांगी तो उन्हें अब तक जानकारी नहीं दी गई।
मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी की बेहद महत्वकांक्षी योजना नमामि गंगे में भी बड़े भ्रष्टाचार की बात कही है। दिनेश खटीक ने सीधे-सीधे अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाया है। मंत्री ने आगे लिखा है, “भाजपा सरकार में दलित और पिछड़ों को सम्मान के साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन सरकार में बैठे अधिकारी उतना ही दलितों का अपमान कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य मंत्री के रुप में मेरा कार्य करना दलित समाज के लिए बेकार है। इन्हीं बातों से आहत होकर मैं अपने पद से त्यागपत्र दे रहा हूं.” ।
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