दिल्ली पेड़ काटने का मामला-सुप्रीम कोर्ट ने कहा एलजी क्या खुद को कोर्ट समझते हैं
दिल्ली में बिना सोचे समझे बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने के मामले में उप राज्यपाल वीके सक्सेना को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने बिना सोचे-समझे पेड़ काटने की अनुमति कैसे दी, वह भी तब जब दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका ली हुई है। कोर्ट ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उप राज्यपाल से पूछा कि क्या वह स्वयं को कोर्ट समझते हैं ?
दरअसल, आम आदमी पार्टी दिल्ली के सदर्न रिज इलाके में 1100 पेड़ काटे जाने की मुखर होकर खिलाफत करती आ रही है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के निर्देश पर दिल्ली के सदर्न रिज इलाके में 1,100 पेड़ काटे गए हैं। इस मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ऐसे किसी भी एक्शन से पहले कोर्ट की अनुमति लेनी होगी।
कुछ इस तरह BJP के LG ने रचा दिल्ली के 1100 पेड़ों को काटने का षड्यंत्र 💯👇 pic.twitter.com/m0jd9k6tky
— AAP (@AamAadmiParty) July 12, 2024
जस्टिस अभय ओका और उज्ज्वल भुयान की बेंच ने कोर्ट की अनुमति लिए बिना पेड़ गिराने के LG के एक्शन पर गहरी नाराजगी जाहिर की। पेड़ गिराने के मामले में LG की भूमिका को छिपाने की कोशिशों की भी कोर्ट ने निंदा की। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में LG ने बिल्कुल दिमाग नहीं लगाया। उन्होंने मान लिया कि दिल्ली सरकार के पास वृक्ष अधिकारी की शक्ति है। जो हो रहा है वह दुखद है। हमें पहले ही बताया जाना चाहिए था कि लेफ्टिनेंट गवर्नर ने पेड़ काटने के निर्देश दिए थे।
बेंच ने LG वीके सक्सेना से भी पूछा कि क्या वे खुद को कोर्ट मान बैठे हैं। जस्टिस ओका ने कहा कि मुझे लग रहा है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर को लगता है कि वे कोर्ट हैं। क्या DDA के किसी ने अधिकारी LG के पास जाकर उन्हें बताया कि हमें इस मामले में आगे बढ़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जरूरत है ?
बेंच ने कहा कि इस मामले में शामिल सभी पार्टियों ने गलतियां कीं, जिनमें वीके सक्सेना भी शामिल थे। इसके साथ बेंच ने इस बात पर भी सभी पार्टियों की निंदा कि वे गलती सुधारने के लिए कोर्ट के पास आने की बजाय गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश करते रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने DDA को यह आदेश भी दिया कि वह बताए कि पेड़ काटने का फैसला LG की अनुमति के आधार पर लिया था या इसमें कोई स्वतंत्र फैसला भी शामिल था। इसके अलावा कोर्ट ने पेड़ काटने वाले कॉन्ट्रैक्टर को भी नोटिस भेजकर यह पूछा कि किसके आदेश पर उसने पेड़ काटे।
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