बाबा रामदेव व बाल कृष्ण अवमानना मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
- पंतजलि भ्रामक विज्ञापन से देश को कर रहा गुमराह-कोर्ट
- आईएमए की याचिका पर चल रही है एससी में सुनवाई
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंतजलि ने विज्ञापन जारी रखे
- अब अवमानना मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा
- कोर्ट ने आईएमए अध्यक्ष को भी सुनाई खरी खोटी
अपनी दवाओं के बारे में रोक के बावजूद भ्रामक विज्ञापन जारी रखने संबंधी अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले में बाबा रामदेव व एमडी आचार्य बाल कृष्ण कोर्ट में बिना शर्त माफी मांग चुके हैं। उन्होंने अखबारों में माफीनामा भी प्रकाशित कराया है। हालांकि कोर्ट ने अखबारों में छपे माफीनामा के साइज पर भी सवाल खड़े किये थे। कोर्ट का कहना था कि भ्रामक विज्ञापन फुल साइज में जबकि माफीनामा बेहद कम स्पेस में दिया गया है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के चेयरमैन डॉ. अशोकन को भी आड़े हाथों लिया है। इस पर डा.अशोकन ने भी माफीनामा दायर किया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बाबा रामदेव व आचार्य बाल कृष्ण ने अपनी दवाओं के भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखा था। कोर्ट ने इस कृत्य को देश व कोर्ट को भ्रम में रखना करार दिया है। कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि एक टीवी पर कोर्ट ने आज क्या हुआ यह चल रहा था तो दूसरी तरफ ही पंतजलि का विज्ञापन, यह कैसी विडंबना है। बाबा रामदेव ने कोर्ट में झूठ बोलने पर यह कहते हुए भी सफाई दी थी कि कोर्ट के आदेश की जानकारी उनके मीडिया सेंटर को नहीं हो पाई थी, जिस कारण विज्ञापन जारी होते रहे।
ध्यान रहे कि पतंजलि के खिलाफ भ्रामक विज्ञापनों को लेकर याचिका आईएमए ने ही दाखिल की थी. इसके बाद ही अदालत ने पतंजिल को माफीनामा जारी करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने उन दवाओं के विज्ञापन को वापस लेने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने उन्हें दो हफ्ते का समय दिया है।
बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के लगभग 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। उत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सोमवार शाम को हलफनामा दायर कर यह जानकारी उस वक्त दी गई थी जबकि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में रामदेव व आचार्य बाल कृष्ण के खिलाफ अवमानना के आरोप पर निर्णय लिया जाना है।
उत्तराखंड की भाजपा सरकार की लाइसेंस ऑथोरिटी ने 14 प्रोडक्ट्स पर बैन का आदेश भी जारी किया है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद के प्रोडक्ट्स के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के कारण कंपनी के लाइसेंस को रोका गया है। दिव्य फार्मेसी पतंजलि प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग करती है। लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबा की इस फर्म की खांसी, ब्लड प्रेशर, शुगर, लिवर, गोइटर और आई ड्रॉप के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 14 दवाओं के उत्पादन को रोकने का निर्देश दिया है। आदेश को सभी जिला ड्रग इंस्पेक्टर को भी भेजा गया है।
सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के वकील ने उनके मुवक्किलों को अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की भी मांग की. कोर्ट इससे राजी हो गया और उन्हें पेशी से छूट मिली है.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अदालत के आदेश पर मीडिया को इंटरव्यू देने पर आईएमए अध्यक्ष डॉ. अशोकन से सवाल-जवाब भी किया। दरअसल, आईएमए की याचिका कोर्ट ने बाबा रामदेव, बालकृष्ण और उत्तराखंड सरकार को खरी खोटी सुनाई थी। लेकिन जैसे ही एलोपैथी डॉक्टरों के पर्चे में महंगी दवाई लिखने पर सवाल उठाए तो आईएमए अध्यक्ष ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में जजों की आलोचना कर डाली थी। अब कोर्ट से मिले नोटिस पर वह माफी मांग रहे हैं। कोर्ट ने इस माफीनामा को स्वीकार नहीं किया है।
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “आपने भी बिल्कुल वही किया है, जो पतंजलि ने किया था। आप आम आदमी नहीं हैं, क्या आप ऐसी चीजों के नतीजों को नहीं जानते ? आप अपने सोफे पर बैठकर अदालत के आदेश पर विलाप नहीं कर सकते हैं.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आप उन 3.5 लाख डॉक्टरों के लिए किस तरह का उदाहरण स्थापित कर रहे हैं, जो एसोसिएशन का हिस्सा हैं.”
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