मेरठी गैंग सत्ता की गोद में कर रहा NCERT की नकली किताबों का खेल
- बरेली में बड़े पैमाने पर मिली नकली किताबे
- बरामद किताबों की कीमत 50 करोड़ आंकी गई
- गिरफ्तार लोगों ने खुले मेरठ वालों के कच्चे चिट्ठे
- भाजपा नेता संजीव गुप्ता का भतीजा का सरगना
- मेरठ मे 2020 में भी बरामद हुई थी किताबे
- मौके पर आग लगाकर भाग गये थे भाजपा नेता
उत्तर प्रदेश के मेरठ व अमरोहा में बड़े पैमाने पर एनसीईआरटी की नकली किताबे छापकर करोड़ों रुपये कमाने वाले गैंग ने अपने पांव बरेली में पसार लिये। यहां पड़े छापे में एनसीईआरटी की स्वीकृति के बिना छापी गई करीब पचास करोड़ रुपये की नकली किताबे बरामद की गई। गिरफ्तार राजीव गुप्ता के मुताबिक इस गिरोह में मेरठ के सचिन गुप्ता, पीयूष कंसल, सोनू और राहुल गुप्ता शामिल हैं। सचिन गुप्ता भाजपा महानगर उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता का भतीजा है। मेरठ में खासी फजीयत होने पर भाजपा महानगर ने संजीव गुप्ता को पदमुक्त कर दिया था। यह बात और है कि संजीव गुप्ता को भाजपा वीवीआईपी मूवमेंट में बेहद करीब देखा जा सकता है। मेरठ फैक्ट्री में अप्रत्यक्ष रूप से तत्कालीन कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल के बेटे की भागीदारी भी बताई जाती रही है हालांकि वह बराबर इसका खंडन करते रहे हैं।

हाल ही में बरेली के भोजीपुरा औद्योगिक क्षेत्र मेंं स्थित फैक्ट्री में छापा मारा गया तो एसटीएफ व पुलिस की आंखे फटी रह गयी। वहां करीब 50 करोड़ रुपये की एनसीईआरटी की नकली किताबे बरामद की गई। नकली किताबे छापकर राजस्व को चूना लगाने वाले इस गैंग में नफीस का भी खासा बड़ा योगदान रहा है। संजीव गुप्ता की फैक्ट्री में मशीनमैन से सुपरवाइजर बना नफीस अब बरेली मेें गिरफ्तार किया गया है। नफीस वर्तमान में प्रबंधक हो गया है।
एटीएफ ने गिरफ्तार राजीव गुप्ता के हवाले से जानकारी दी कि नकली किताब छापे में मेरठ माधवपुरम निवासी अवनीश मित्तल, सचिन गुप्ता, पीयूष कंसल, सोनू और राहुल गुप्ता की पार्टनरशिप है। बरेली की यह फैक्ट्री पार्टनरशिप में लगाई गई है। इन सभी की गिरफ्तारी के लिये टीमें लगाई गई हैं। बता दें कि बीते 21 अगस्त 2020 को मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र में एसटीएफ ने छापेमारी कर करोड़ों रुपये की नकली किताबे बरामद की थी। ये सभी किताबे एनसीईआरटी से बिना टेंडर लिये छापी गई थी।

गंभीर तथ्य यह रहा कि पुलिस टीम की मौजूदगी में ही आरोपी बड़ी संख्या में कागजों में आग लगा कर कार में बैठकर निकल गये थे। आग वहां मौजूद सबूत मिटाने के उद्देश्य से लगायी गयी थी। मामला चूंकि मोटी धनराशि से जुड़ा हुआ था लिहाजा जितनी तेजी से उभर कर सामने आया उतनी से तेजी से फाइलों की गर्त में दफन भी हो गया। यहीं कारण रहा कि सचिन गुप्ता के गिरोह की कारगुजारियों पर कोई फर्क नहीं आया। करोड़ों रुपये के राजस्व घोटाले में बाहर से बाहर जमानत होने के बाद इस गिरोह ने मेरठ के बाद हापुड़, फिर अमरोहा और वहां से बरेली अपना काम फैला लिया है। माना जा रहा है कुछ दिन के शोर शराबे के बाद फिर से इस कार्य को शुरू कर दिया जायेगा।
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