बिलकिस बानो केस : सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का गुजरात सरकार का आदेश रद्द किया
BREAKING मुख्य ख़बर

बिलकिस बानो केस : सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का गुजरात सरकार का आदेश रद्द किया

Spread the love
167 Views

सुप्रीमो कोर्ट ने गुजरात सरकार के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें बिलकिस बानो मामले में आरोपियों को रिहा कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दोषियों को फिर से जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नही कर सकती ब्लकि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी। कोर्ट ने ऐसा इसलिये कहा क्यों बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है। कोर्ट ने साफ कहा कि जिस राज्य में दोषी के खिलाफ मुकदमा हुआ और सजा सुनाई गई, वही राज्य दोषियों की सजा माफी का फैसला ले सकता है। कोर्ट ने इसे लेकर गुजरात सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई है। वहीं, कांग्रेस ने इसे सत्य की जीत बताया है।

देश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की शुरुआत यूनानी दार्शनिक प्लेटो की इस थ्योरी से की कि सजा बदले की भावना से नहीं, बल्कि रोकथाम और सुधार के लिए दी जानी चाहिए। जैसे एक डॉक्टर सिर्फ दर्द को देखकर नहीं, मरीज के भले के लिए दवा देता है। इसलिए अगर कोई अपराधी सुधर सकता है तो उसे मौका मिलना चाहिए। दोषियों की सजा माफी के पीछे यही धारणा है। इसके फौरन बाद कहा कि ‘एक महिला सम्मान की हकदार है। उसका पद या धर्म जो भी हो। क्या महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों पर सजा में छूट दी जा सकती है ? कोर्ट ने गुजरात सरकार को भी फटकार लगाई।

दरअसल, 21 जनवरी 2008 को सीबीआई विशेष अदालत ने बिलकिस केस के ग्यारह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 2018 में CBI कोर्ट के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। दोषियों में से एक राधेश्याम भगवानदास शाह ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत सजा पूरी होने से पहले रिहाई की मांग की थी। जुलाई 2019 में गुजरात हाईकोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि सजा महाराष्ट्र में सुनाई गई थी, इसलिए रिहाई का आवेदन भी वहीं किया जाना चाहिए।

इस पर राधेश्याम शाह ने महाराष्ट्र सरकार के पास आवेदन दिया। महाराष्ट्र के डीजीपी और ट्रायल करने वाले जज ने इस पर नेगेटिव राय रखी। इसी दौरान राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 32 के तहत रिट याचिका लगाई। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार फैसला करे, क्योंकि अपराध वहीं हुआ था। कोर्ट के निर्देश पर ही गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला लेने के लिए पंचमहल के कलेक्टर सुजल मायत्रा की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर दी। मायत्रा समिति ने 11 दोषियों के रिमिशन यानी समय से पहले रिहाई के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।

इस फैसले के खिलाफ देशभर में लोगों का गुस्सा फूटा था। लोगों का कहना था कि यह न्याय नहीं हैं। हालांकि कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर यानी CrPC की धारा 432 के तहत उपयुक्त सरकार किसी अपराधी की पूरी सजा निलंबित कर सकती है या उसका कुछ हिस्सा माफ कर सकती है। इसी का इस्तेमाल करके गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो केस के ग्यारह दोषियों को रिहा किया था।

यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी 2024 को कहा कि 22 मई 2022 का फैसला निरर्थक था क्योंकि वो धोखाधड़ी और पेर इंक्यूरियम के सिद्धांत से प्रभावित था। पेर इंक्यूरियम के सिद्धांत यानी जब सही संदर्भ और तथ्यों के बिना कोई फैसला किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि दोषियों को रिहा करने में कानून का उल्लंघन हुआ है। गुजरात सरकार ने शक्तियां न होते हुए भी उनका इस्तेमाल और दुरुपयोग किया। इस आधार पर भी रिमिशन ऑर्डर यानी समय से पहले रिहाई का आदेश रद्द किया जाना चाहिए। इसे लिये कोर्ट ने गुजरात सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई है।

follow us on 👇

फेसबुक -https://www.facebook.com/groups/480505783445020
ट्विटर -https://twitter.com/firstbytetv_
चैनल सब्सक्राइब करें – https://youtube.com/@firstbytetv
वेबसाइट -https://firstbytetv.com/
इंस्टाग्राम -https://www.instagram.com/firstbytetv/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *