बिहार शराब कांड: मौत का आंकड़ा 70 के पार, देशी इलाज से नहीं बची जिंदगी
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बिहार शराब कांड: मौत का आंकड़ा 70 के पार, देशी इलाज से नहीं बची जिंदगी

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  • बिहार के छपरा में जहरीली शराब से 70 जान गई
  • मंगलवार से शुरू मौत का सिलसिला शनिवार तक जारी
  • जुर्माने के डर से लोगों ने पी थी सस्ती शराब

बिहार में ज़हरीली शराब से मरने वालों का सिलसिला जारी है। आज 5वे दिन मौतों का आंकड़ा 70 के पर हो चुका है।जानकारी मिली है कि सही समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से ज्यादातर लोगों की जान गई।मौत का या मंजर जिले के इसुआपुर से शुरू हुआ था जो अब मशरख, मढ़ौरा, तरैया, अमनौर सहित बनियापुर से भी सामने आने लगे हैं। इतनी बड़ी में लोगों की मौत होने के बाद अब सवाल ये उठाए जा रहे हैं कि क्या क्या जहरीली शराब पीने वालों का कोई इलाज नहीं है? क्या जहरीली शराब पीने वाले को बचाया नहीं जा सकता है? साथ ही 70 लोगो की मौतों पर भी सवाल उठ रहा है कि क्या उन सभी लोगों को समय पर इलाज मिला ? जिसका जवाब है जहरीली शराब पीने वालों का इलाज हो सकता है , उन्हे बचाया भी जा सकता है। लेकिन छपरा में जहरीली शराब के शिकार हुए ज्यादातर लोगों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से जान गवानी पड़ी है।

दरअसल जहरीली शराब पीने के बाद बीमार पड़े लोग जुर्माने और मुकदमे के डर से अस्पताल नहीं गए। किसी ने घर में ही देशी इलाज शुरू किया तो किसी ने उल्टी कराने के लिए नमक और साबुन का घोल पी लिया । जब इससे भी बात नहीं बनी तो झोला छाप डॉक्टर के पास गए।लेकिन तब तक मामला ज्यादा बिगड़ चुका था। संभालने लायक नही बचा था मरीजों की सांसे फूलनी शुरू हो गई थी और आखों की रौशनी जाने लगी थी। जिसके बाद लोगों को लगा कि जुर्माने और केस मुकदमे से ज्यादा जरूरी अभी इलाज कराना है जान बचाना है। सबसे ज्यादा मामला छपरा के मशरख में था तो मरीज सबसे ज्यादा यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही पहुंचे। लेकिन जब तक यहां मरीजों को लाया गया तब तक बहुत देर हो चुकी थी 24 से 48 घंटे बीत चुके थे। स्थिति अब यहां के डॉक्टरों के नियंत्रन में नहीं रही थी। जिसके बाद मरीजों को छपरा सदर अस्पताल ले जाया गया। लेकिन छपरा पहुंचने से पहले ही ज्यादातर मरीजों की मौत हो गई थी।

दरअसल बिहार में शराबबंदी है। उसके बाद भी अगर कोई शराब पीता है तो शराबबंदी कानुन में हाल में हुए संसोधन के अनुसार पहली बार शराब पीने पर 2000 से 5000 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। बता दें छोटे मोटे काम करने वाले मजदूरों ने सस्ती शराब के चक्कर में इस जहरीली शराब को पी लिया।क्योंकि इनके लिए 2 या 5 हजार रुपए का जुर्माना देना बड़ा मामला था। पुलिस FIR, केस और मुकदमे का डर अलग था यही वजह थी कि लोग सीधे अस्पताल जाने की वजह घर में ही देशी इलाज कराते रहे और फिर सही इलाज नहीं होने की वजह से उनकी मौत हो गई।

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