अतीक अहमद का आपराधिक इतिहास, जेल में रहकर इस तरह रचता था साजिशें ?
अतीक अहमद की शनिवार रात गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। माफिया अतीक अहमद के उपर हत्या समेत 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। 5 बार विधायक और एक बार सांसद बनने के बाद उसको पहली बार सज़ा उमेश पाल के अपहरण मामले मे मिली, 364 A के अन्तर्गत ये सजा -ए – उम्रकैद थी जो 28 मार्च 2023 को सुनाई गई।
अतीक के पिता इलाहबाद रैलवे स्टेशन पर तांगा चलाते थे ये फिरोज तांगे वाले के लड़के के नाम से जाना जाने लगा था। अतीक बचपन से ही पढ़ाई में कमजोर होने के चलते 10वीं में फेल हो गया था। जिसके बाद उसने पढ़ाई छोड़कर अपना रास्ता बदल लिया और महज़ 17 साल की उम्र में उस पर हत्या का आरोप लग गया। इस आरोप में वह एक साल जेल मे रहकर वापस आ गया।
अतीक पहली बार 1989 में इलाहबाद वेस्ट से निर्दलीय विधायक चुना गया। 1991 और 1993 में दोबारा निर्दलीय विधायक चुना गया। जिसके चलते समाजवादी पार्टी से उसकी नजदीकियां बढने लगी थी इसी दौरान 1996 मे मुलायम सिंह ने इसे सपा से चुनाव लड़ाये और एक बार फिर वह चौथी मर्तबा विधायक बन गया। लेकिन तीन साल बाद ही इसका पाला बदला और वह अपना दल में चला गया और 2002 मे यह पांचवी बार विधायक बना। उसके अगले ही साल मुलायम सिंह की सरकार बन गई थी जिसके बाद वह वापस सपा में लौट आया। इस बार ये 2004 के लोगसभा चुनाव में फूलपुर से सांसद बना था।
जब अतीक सांसद बन गया तो इलाहबाद वेस्ट सीट खाली हो गई। जिसके बाद अतीक ने अपने भाई अशरफ को चुनाव में खड़ा किया लेकिन उसको राजू पाल ने हरा दिया। 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े राजू पाल की हत्या कर दी गई। राजू हत्याकांड में उनकी पत्नी पूजा पाल ने अतीक सहित चार लोंगों पर केस दर्ज कराया। दो साल बाद फिर से चुनाव हुए जिसमें पूजा पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया। इसी दौरान राज्य मे मायावती की सरकार बनी इस सरकार ने अतीक ऑपरेशन चलाया और अतीक पर इनाम घोषित करते हुए करोड़ों की सम्पत्ती सीज कर दी। मायावती ने अतीक अहमद पर एक दिन में 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज कराये। हालांकि कोर्ट ने इन मुकदमो को स्पंज कर दिया था।
2012 के चुनाव के दौरान अतीक ने जमानत की अर्जी के जेल से पर्चा भरा लेकिन 10 जजों ने सुनवाई करने से मना कर दिया। पूजा पाल के खिलाफ भी अतीक ने चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाया। 2012 में फिर से समाजवादी पार्टी सत्ता में लौटी और 2014 के लोकसभा चुनाव में अतीक को फिर से टिकट दे दिया। लेकिन वह फिर से चुनाव हार गया। इसी बीच अतीक और उसके 60 समर्थकों पर इलाहबाद के काॅलेज मे मारपीट का आरोप लगा। इस मामले में फरवरी 2017 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन जेल मे रहते हुए भी उसने 2019 के चुनाव मे मोदी के सामने वाराणसी से चुनाव लड़े। बदकिस्मती से यहां उसको महज़ 855 वोटें ही मिली और जमानत जब्त हो गईं।
अतीक पर जेल में रहते हुए भी वारदातो की साजिश रचने के आरोप लगे। फरवरी 2023 मे हुई राजू पाल की हत्या के इकलौते गवाह उमेश पाल की हत्या की साजिश रचने में अतीक का नाम आया। जिसके बाद उसे इलाहबाद की साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। मीडिया रिर्पोट्स के मुताबिक इसकी 1600 करोड़ रू से ज्यादा की संपत्ति पर बुलडोज़र चल चुका है। और इसी तरह अपराधों को अंजाम देते देते 15 अप्रेल 2023रात 10 बजकर 23 मिनट पर अतीक और उसके भाई अशरफ की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई।