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मेरठ पुलिस ने कहा -जांच के बाद ही भाजपाइयों की रिपोर्ट दर्ज की जायेगी।
AIMIM की रिपोर्ट तुरंत दर्ज, भाजपाइयों की जांच के बाद होगी
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AIMIM की रिपोर्ट तुरंत दर्ज, भाजपाइयों की जांच के बाद होगी

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  • मेयर, पार्षद शपथ ग्रहण समारोह में मारपीट का मामला
  • AIMIM की रिपोर्ट पुलिस ने तुरंत दर्ज की
  • महानगर अध्यक्ष की कार से थाने पहुंचे गिरफ्तार भाजपाई
  • अध्यक्ष ने कहा था-कोई बड़ी बात नहीं, जमानत करा लेंगे
  • भाजपा राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत के पत्र पर भी रिपोर्ट दर्ज नहीं

मेरठ के महापौर व पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हो गया। महापौर के साथ 85 पार्षदों ने शपथ ग्रहण की जबकि पांच पार्षदों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया।   A I M I M के पार्षदों की पिटाई भी हुई और उन्होंने भाजपा पार्षदों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई। पुलिस ने भाजपा पार्षद राजीव काले व उत्तम सैनी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया। उन्हें पुलिस ने हिरासत में भी लिया और जब भाजपा के दिग्गजों ने मेडिकल थाने में जमावड़ा किया और यह बताया कि वह जमानत करा लेंगे, उनके लिये यह कोई बड़ी बात नहीं हैं तो पुलिस ने थाने से जमानत भी दे दी।  यूपी व मेरठ की राजनीति में जिस तरह सपा को पछाड़ कर ओवैसी की पार्टी की आमद हुई निश्चित रूप से वह सभी को चौंकाने वाली रही।

यह नतीजे  आने के बाद की बात है लेकिन कल शपथ ग्रहण समारोह में जो घटनाक्रम हुआ वह नगर निगम की राजनीति का भविष्य बताने का मात्र ट्रायल भर माना जा रहा है। यानी वंदे मातरम को आधार बनाते हुए  नगर निगम की हर बैठक किसी अखाड़े से कम नहीं होगी..इसके साफ संकेत कल के घटनाक्रम ने दे दिये हैं।

(विस्तार से देखिये 👇)

यूपी की राजनीति में अभी तक भाजपा,सपा ,बसपा रालोद व कांग्रेस के बीच ही जोर आजमाइश होती रही है लेकिन राजनीति के इस दंगल में  असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने भी ताल ठोक दी है।  ओवैसी की राजनीति यूं तो हैदराबाद व उसके आसपास ही नजर आती है लेकिन स्थानीय नगर निकाय चुनाव से उनकी धमाकेदार एंट्री यूपी में भी हो गई। मेरठ में उनकी पार्टी ने सपा को भी पीछे धकेल दिया। महापौर पद पर उनके प्रत्याशी अनस कुरैशी दूसरे  स्थान पर रहे जबकि उनके भाजपा व सपा के बाद सर्वाधिक 11 पार्षद नगर निगम पहुंच गये। सपा के 13 पार्षद बने हैं।

अब बात करते हैं शपथ ग्रहण के दौरान हुए हंगामे और मारपीट के बाद की। ओवैसी की पार्टी  की पार्षद रेशमा के पति दिलशाद की तरफ से भाजपा पार्षद राजीव गुप्ता काले व उत्तम सैनी  और कविता राही के खिलाफ जान से मारने की नीयत से हमला करने का आरोप लगाते हुए  रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। ये सभी धाराएं जमानती हैं। बीच में भाजपा के कुछ पदाधिकारियों व पुलिस के कुछ अफसरों  के बीच खिचड़ी पकी और राजीव काले, उत्तम सैनी और अंशुल गुप्ता महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल की कार से सीओ अरविंद चौरसिया की अगुवाई में मेडिकल थाने पहुंच गये। 
पुलिस ने कहा कि तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि मुकेश सिंघल ने प्रचारित किया कि ये लोग तहरीर देने आये थे और यहीं बैठा लिये गये। लेकिन कोई बड़ी बात नहीं है, जमानत करा ली जायेगी।  शाम छह से रात ग्यारह बज गये लेकिन राज्य सभा सदस्य डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी व  राजीव काले की तरफ से दी गई तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा तक दर्ज नहीं किया। हां, डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी व  कैंट विधायक अमित अग्रवाल द्वारा गिरफ्तारी पर आपत्ति व हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देने के बाद उन्हें गिरफ्तार भाजपाइयों को थाने से जमानत दे दी गई।  
A I M I M पार्षदों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का जब ज्यादा ही दबाव बनाया गया तो पुलिस क्षेत्राधिकारी अरविंद चौरसिया यह कहते हुए लगभग फट पड़े कि मुझे नहीं करनी ऐसी नौकरी, मैं रिपोर्ट नहीं लिख सकता, अगर लिखवानी है तो ऊपर से आदेश करा लाओ। उधर , एसपी सिटी पीयूष सिंह का कहना है कि लगाये गये आरोपों की जांच के  बाद ही  यदि हुआ तो रिपोर्ट दर्ज होगी।  कुल मिलाकर भाजपाई अपनी रिपोर्ट शनिवार दोपहर एक बजे तक भी दर्ज नहीं करा पाये थे। और यदि यह दर्ज भी होती है तो यह क्रास रिपोर्ट ही होगी। 
अब बात करते हैं वंदे मातरम को लेकर होने वाले विवाद की। नगर निगम के इतिहास में पिछले काफी समय से इसे लेकर विवाद की स्थिति बनी रही है। तत्कालीन मेयर अय्यूब अंसारी वंदे मातरम पढ़ते थे, डिप्टी मेयर हाजी याकूब कुरैशी भी इसमें बराबर शरीक रहते थे। हां, मेयर शाहिद अखलाक उस वक्त बैठक से बाहर चले जाते थे। यहां से विरोध की राजनीति शुरू हुई। आज यह विरोध निगम बोर्ड के  शपथ ग्रहण समारोह में ही मारपीट में तब्दील हो गया।
नगर निगम के लिपिक वैभव वार्ष्णेय ने वंदे मातरम गलत तरीके से गाया। इसका डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने विरोध किया और वंदे मातरम दोबारा से किया गया। इसे लेकर वहां विवाद हुआ..मारपीट हुई और फिर यह सारा घटनाक्रम। कुछ इस तरह जैसे इसकी पटकथा कुछ लोगों के दिमाग में पहले ही लिखी जा चुकी थी।

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