दिल्ली। राज्यसभा में आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। नये कृषि कानूनों को किसान हित में बताते हुए कृषि मंत्री ने विपक्ष से पूछा कि वह बराबर इन कानून को काला कानून बता रहे हैं, लेकिन वह खुद जानना चाहते हैं कि इसमें काला क्या है। किसानों को लगातार बुलाकर उनके सामने प्रस्ताव रखा गया कि वह जो भी सुझाव देना चाहें उन्हें लागू कर दिया जायेगा लेकिन किसान अपनी जिद पर ही अड़े हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ऊपरी सदन में सरकार का पक्ष रख रहे हैं। वह कृषि सुधार कानून और आंदोलन को लेकर आगे के रोडमैप को लेकर सरकार का रुख बता रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि विपक्ष बताए कानून में काला क्या है। देश में विपक्ष उल्टी गंगा बहाना चाह रहा है। किसान नेता ये नहीं बता पाए कि कानून में कमी क्या है। किसान को सरकार ने सम्मान देने की कोशिश करते हुए संवेदनशीलता दिखाई। कृषि मंत्री ने कहा कि हम खून से नहीं करते खेती। खून से खेती कांग्रेस करती है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग के एक्ट में बताएं कि कहां लिखा है किसानों की जमीन चली जाएगी।
बता दें कि राज्यसभा में शुक्रवार को भी किसानों का मुद्दा छाया रहा। सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा जारी है। वहीं विपक्ष के नेताओं ने सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की। भाजपा ने अपने राज्यसभा सांसदों को 8 फरवरी से 12 फरवरी तक सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। कृषि मंत्री के बयान को लेकर विपक्ष के हंगामे के आसार हैं। इससे पहले गुरुवार को सत्ता और विपक्ष के बीच किसान आंदोलन को लेकर तीखी बहस देखने को मिली थी।