सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराने की चुनाव आयोग की घोषणा
- बसपा देवव्रत त्यागी के नाम की रविवार को करेगी घोषणा
- भाजपा अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में
- सपा ने बाहरी भानु प्रताप को उतारा मैदान में
- AIMIM प्रत्याशी कौन होगा,लगी सभी की नजर
- आदर्श आचार संहिता लागू,नतीजे घोषित होने तक रहेगी
राजनीतिक सरगर्मी के बीच चुनाव आयोग ने आज देश की 18वीं लोकसभा के चुनावों की डुगडुगी बजा दी। इसके साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पेटी कस कर बांध ली हैं। चुनावी तिथियों के ऐलान के साथ ही प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी तेज हो गयी है। 543 सीटों के लिये ये आम चुनाव होने जा रहे हैं। एक दिन पहले ही यानी बीते दिवस दो चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार व सुखबीर संधू ने अपना पदभार संभाला है। चुनावी मौसम में कार्यकाल रहने के बावजूद चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा देकर अरुण गोयल ने सभी को चौंका दिया था। जबकि अनूप चंद्र पांडेय के रिटायर होने के कारण यह पद खाली हो गया था। इन दोनों ही पदों पर ज्ञानेश कुमार व सुखबीर संधू से भर दिया गया है।
अब बात करते हैं पश्चिम उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा चर्चित मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट की। प्रमुख व सत्तारूढ़ राजनीतिक दल भाजपा अभी वेट एंड वॅाच की स्थिति में नहीं। साम दाम दंड भेद की राजनीति में माहिर भाजपा अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि इस सीट से वह किसी अपना प्रत्याशी बनाये। तीन बार से लगातार सांसद चले आ रहे राजेंद्र अग्रवाल को या फिर अन्य किसी को। हालांकि इस बार भी भाजपा इसी मंत्र को लेकर सभी जगह मैदान में उतरी है कि प्रत्याशी चाहे कोई भी हो, लड़ सिर्फ मोदी ही रहे हैं। यानी इस बार का लोकसभा चुनाव भी 2019 की भांति सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम पर होने जा रहा है। यानी चेहरा चाहे कोई भी हो, वोटिंग मोदी के चेहरे पर ही होगी। इस सीट पर भाजपा के तमाम बड़े चेहरे टिकट पाने की जोर आजमाइश में लगे हैं। तीन बार से वैश्य प्रत्याशी होने के कारण यह बिरादरी टिकट तय करने वालों के सामने अपना बड़ा पेपर वेट रखे हुए हैं। हालांकि पार्टी गाजियाबाद से किस बिरादरी को मैदान में उतारेगी, इसका समीकरण भी मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट को तय करने का मानक माना जाता है, ऐसा प्रचलित है। यहां से अनिल अग्रवाल को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि यदि गाजियाबाद से किसी वैश्य को टिकट मिलता है तो मेरठ हापुड़ सीट से किसी ब्राह्मण अथवा अन्य किसी बिरादरी के दावेदार की किस्मत खुल सकती है।
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यूपी की राजनीति में दूसरे नंबर पर आने वाली समाजवादी पार्टी ने इस सीट से बुलंदशहर निवासी अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह को उतार कर न सिर्फ दलित कार्ड चलने की पहल की है बल्कि सभी को चौका भी दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहिद मंजूर, मौजूदा विधायक रफीक अंसारी, सरधना विधायक अतुल प्रधान व पूर्व विधायक योगेश वर्मा टिकट के लिये मेरठ और लखनऊ की सड़क नापते रह गये और बीच में पड़ने वाले बुलंदशहर के भानु प्रताप ने बाजी मार ली। हालांकि यह भी चर्चा है कि यदि अतुल प्रधान अथवा योगेश वर्मा को समाजवादी पार्टी चुनाव मैदान में उतारती तो चुनाव खासा रोमांचक होता, भानु प्रताप दलित हैं लेकिन फिर भी बाहरी।
बहुजन समाज पार्टी कल यानी रविवार को अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करने जा रही है। गढ़ रोड स्थित बुद्धा गार्डन में होने जा रहे समारोह में देवव्रत त्यागी के नाम की घोषणा लगभग तय मानी जा रही है। पार्टी का मानना है कि त्यागियों व दलित वोटों के सहारे बसपा की वैतरणी यहां पार हो जायेगी। इसके अलावा यदि हवा बन गयी तो मुस्लिम वोटर भी इस तरफ का रूख कर सकता है। लेकिन यह बात भी माननी होगी कि मुस्लिम वोट गैर मुस्लिम की तरफ केवल तभी जा सकता है जब उसे लड़े कि वह भाजपा को हराने की कुवैत रखता हो..यानी कुल मिलाकर बसपा प्रत्याशी को अपने पक्ष में कुछ ऐसी हवा बनानी होगी।
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