जयंत जायेंगे भाजपा के साथ ! रालोद को मिला चार सीट का ऑफर
राजनीति में कुछ भी संभव है। वह भी तब जबकि लोकसभा चुनाव सिर पर आ खड़े हैं। ऐसे में एक बार फिर से रालोद के भाजपा गठबंधन में शामिल होने की चर्चा तेज हो गयी है। इसका कारण भाजपा द्वारा रालोद को चार सीटों पर लड़ने का आफर है। सीटों के बंटवारे को लेकर सपा से खींचतान को देखते हुए ही भाजपा ने बिना समय गंवाये यह आफर रालोद मुखिया को दे दिया है। इसे देखते हुए कयास लगाये जा रहे हैं कि यदि रालोद भाजपा पाले में जाते है तो इंडिया गठबंधन को यह पश्चिम उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर बड़ा झटका लग सकता है। हालांकि यह बात भी निकल कर रही है कि यह चर्चा दबाव की राजनीति का भी हिस्सा हो सकता है। इसके पीचे जयंत चौधरी का वह दावा बताया जा रहा है जिसमें भाजपा के साथ जाने की चर्चा पर विराम देते हुए उन्होंने कहा था कि उन्होंने जो वादा एक बार कर लिया, वह कर लिया। यानी वह अखिलेश यादव के साथ ही रहेंगे। लेकिन फिर भी कहा जा सकता है…राजनीति में कुछ भी संभव है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन यानी एनडीए विपक्ष को एक भी ऐसा मौका देने के मूड में नहीं हैं कि वह खुल कर बैटिंग कर सके। इसके लिये तमाम कोशिश की जा रही है। कांग्रेस की राजनीतिक जमीन तक खत्म करने की कवायद में अब भाजपा ने रालोद के जयंत चौधरी को एनडीए में शामिल होने का न्यौता दे दिया है। भाजपा ने रालोद को कैराना, बागपत, मथुरा व अमरोहा लोकसभा सीट भी आफर कर दी है। दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर रालोद का खासा प्रभाव माना जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह इन सीटों का जाट बाहुल्य होना है। भाजपा का आफर स्वीकार करने का सीधा मतलब सपा के साथ ही इंडिया गठबंधन को बड़ा नुकसान होना साबित हो सकता है। यूपी में भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी का ही प्रभाव है। कांग्रेस यहां डायलेसिस पर है। वह अपनी जगह पाने के लिये बराबर कश्मकश कर रही है।
दरअसल, सपा ने कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी अपना और निशान आरएलडी का रखने की शर्त जयंत चौधरी के समक्ष रखी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा और रालोद के गठजोड़ ने आठ सीटें जीती थी। फिर उपचुनाव में रालोद ने खतौली सीट जीत ली और उसके विधायकों की संख्या नौ हो गई। सपा ने ही जयंत चौधरी को राज्यसभा भी भेजा और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने आरएलडी को सात सीट भी दी है। बावजूद इसके रालोद भाजपा संग जाने की तैयारी कर रही है ? इसे लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।
एक बात और सपा ने जो सात सीट रालोद को लोकसभा चुनाव में दी हैं, उन पर सपा यह कह रही है कि चार उम्मीदवार सपा के होंगे, जो रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में सात में से केवल तीन सीट ही आरएलडी के पास बच रही हैं। और यही बात जयंत को पच नहीं रही है। सपा रालोद गठजोड़ के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट भी कश्मकश की बड़ी वजह हमेशा से रही है। दोनों ही दल इसे अपने पाले में रखना चाहते हैं। रालोद का तर्क है कि इस सीट पर उसका ज्यादा प्रभाव है। क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा के डा. संजीव बालियान रालोद प्रत्याशी अजित सिंह से मात्र साढ़े छह हजार वोट ही अधिक पा सके थे। इसके अलावा इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से दो बुढ़ाना और खतौली पर रालोद का कब्जा है।
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