Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u464953483/domains/firstbytetv.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
पश्चिम बंगाल चुनाव: गठबंधन के जरिये वजूद बचाने की कोशिश में कांग्रेस-लेफ्ट ।। - First Byte.tv
पश्चिम बंगाल चुनाव: गठबंधन के जरिये वजूद बचाने की कोशिश में कांग्रेस-लेफ्ट ।।
दिल्ली-एनसीआर राष्ट्रीय

पश्चिम बंगाल चुनाव: गठबंधन के जरिये वजूद बचाने की कोशिश में कांग्रेस-लेफ्ट ।।

95 Views

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का भले ही औपचारिक ऐलान न हुआ हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी सक्रियता से सूबे की सियासी तपिश को बढ़ा दिया है. बंगाल की सत्ता पर तीन दशक तक कांग्रेस और करीब साढ़े तीन दशक तक वामपंथी दलों का सियासी वर्चस्व कायम रहा, लेकिन प्रदेश के बदले सियासी हालात में दोनों पार्टियों के सामने अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की चुनौती है । कांग्रेस साल 1977 के चुनाव में सत्ता से बाहर हुई तो आजतक वापसी नहीं कर सकी जबकि लेफ्ट पिछले दस सालों से सत्ता का वनवास झेल रही है. ऐसे में बंगाल के सियासी रण में बीजेपी और टीएमसी के बीच सिमटते चुनाव को त्रिकोणीय बनाने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट ने गठबंधन किया है. पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को ऐलान किया कि कांग्रेस और वाम मोर्चा मिलकर पश्चिम बंगाल का चुनाव लड़ेंगे. चौधरी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गठबंधन को हरी झंडी दे दी है । बता दें कि पश्चिम बंगाल 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन इसके बाद भी ममता बनर्जी के सामने कोई खास चुनौती नहीं खड़ी कर सके थे. हालांकि, तब कांग्रेस विधानसभा में दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और पार्टी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि सीपीएम को 26 और बाकी लेफ्ट के घटक दलों को कुछ सीटें मिली थी. बीजेपी महज 3 सीट जीत सकी थी । पिछले पांच सालों में पश्चिम बंगाल के सियासी हालात काफी बदल गए हैं. मौजूदा विधायकों के पाला बदलने की वजह से कांग्रेस के पास फिलहाल 23 विधायक ही बचे हैं जबकि बीजेपी के पास 16 विधायक हैं. बंगाल में बीजेपी के जबरदस्त राजनीतिक उभार के चलते कांग्रेस और लेफ्ट दोनों के सामने अपने-अपने सियासी आधार को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है । इसी सियासी मजबूरी या सियासी हालात को देखते हुए एक बार फिर दोनों को साथ आना पड़ा है.  बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट के साथ आने का सीधा मतलब खुद के वजूद को बचाना है, क्योंकि राज्य में सियासी लड़ाई बीजेपी और टीएमसी के बीच नजर आ रही है ।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *