छावनी परिषद के सीईई अनुज सिंह को बहाल करने के हाई कोर्ट के आदेश
- लगाये गये आरोप परिषद साबित न कर सका
- आरआर मॅाल ध्वस्तीकरण में हुई थी गिरफ्तारी
- बाकी नामजद आरोपी अभी भी कर रहे काम
- अनुज को पूरा वेतन व भत्ते देने के भी आदेश
- विरोधियों में बैचेनी, अफरातफरी का माहौल
मेरठ कैंट बोर्ड के चीफ एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अनुज सिंह को हाईकोर्ट ने बहाल करने के आदेश जारी कर दिये हैं। अनुज सिंह को 2019 में उन गंभीर आरोपों के चलते बर्खास्त कर दिया गया था जो बाकी अभियंताओं पर भी लगे थे। ये अभियंता आज भी छावनी परिषद में मलाईदार पदों पर कार्यरत हैं। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि छावनी परिषद कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया जिससे अनुज सिंह पर लगे आरोपों की पुष्टि हो सके। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी से अब तक का पूरा वेतन व तमाम भत्ते देने का आदेश भी जारी किया है।
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हालांकि छावनी परिषद के जानकारों का कहना है कि अभी अनुज सिंह के पक्ष में आये इस आदेश के तहत बहाली इतनी जल्द संभव नहीं हैं। कारण साफ है कि जिन अफसरों, अभियंताओं व बोर्ड की राजनीति करने वालों ने अनुज सिंह को बर्खास्त कराया था वह अब इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का भी रूख नहीं करेंगे ऐसा कहना फिलहाल बेहद जल्दबाजी होगा।
दरअसल, अनुज पर कैंट बोर्ड में रहते हुए चैप्पल स्ट्रीट में सिनेमा घर और कई अवैध निर्माणों को बढ़ावा देने के आरोप लगे थे। इसके अलावा 210बी में आरआर मॅाल के ध्वस्तीकरण के दौरान दबकर दीपक शर्मा, उनके बेटे आकाश उर्फ हनी, होमगार्ड ओमवीर और लवकुश उर्फ गोविंदा की मलबे में दबकर मौत हो गई थी। इस पर कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) राजीव श्रीवास्तव, मुख्य अधिशासी अभियंता (सीईई) अनुज सिंह समेत छह अफसरों के खिलाफ हत्या और संबंधित धाराओं में केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने अनुज सिंह को घटना के कुछ समय बाद ही गिरफ्तार कर लिया था। यह बात दीगर रही कि बाकी कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ। इसके बाद 14 अगस्त 2019 को अनुज सिंह को बर्खास्त कर दिया गया था।
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हाईकोर्ट ने आदेश दिये है कि अनुज सिंह की बर्खास्तगी एक तरफा की गई कार्रवाई हैं। जांच कमेटी के आरोप गलत हैं। एक तरह से जांच कमेटी ने मनमानी तरीके से अनुज सिंह के खिलाफ कार्रवाई की हैं। बोर्ड ने भ्रष्टाचार के जो आरोप अनुज सिंह पर लगाये है, वो निराधार हैं। भ्रष्टाचार का एक भी सबूत कोर्ट में पेश नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में 22 बी का भी जिक्र किया है। गंभीर बात यह है कि अभी हाल ही में छावनी परिषद ने पुलिस व प्रशासनिक अफसरों के सामने 22 बी को सील कर दिया था लेकिन कुछ ही घंटे बाद बसपा नेता व मालिक पंकज जौली ने चुनौती देते हुए सील को तोड़ दिया था। बावजूद इसके अभी तक पुलिस, प्रशासन व छावनी परिषद अपनी इज्जत बचाते हुए चुप्पी साधे हुए हैं।
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