जेल के दरवाजे पर याकूब कुरैशी ने पुलिस से हाथ जोड़ते हुए क्यूं कहा- शुक्रिया
- पैसे व रसूख के बल पर दस माह तक पुलिस की पकड़ से दूर
- पांच करोड़ के मीट पकड़े जाने पर भी हुए खूब खेल
- मीट की प्रोसेसिंग व पैकेजिंग होती रही लेकिन विभाग को पता नहीं चला !
- सील फैक्ट्री में ट्रक आते जाते रहे पैसे की चमक में कुछ न दिखा
- इन जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कब होगी कार्रवाई
- याकूब के धंधे में सहयोग देने वाले अफसरों पर मेहरबानी क्यूं ?
रसूख व पैसा अपनी जगह है और कानून अपनी जगह। इसके बल पर याकूब कुरैशी व उसका बेटा इमरान कुरैशी दस माह तक बचते तो रहे लेकिन अंत में जेल जाना ही पड़ा। जेल के छोटे दरवाजे पर याकूब की पेशानी पर थोड़ी देर के लिये बल तो पड़े लेकिन परेशानी का सबब बनी थी वह दवाइयां व चिकित्सक के पर्चे जो बाहर इंंस्पेक्टर की कार में रह गये थे। इन सब के आधार पर ही जेल के अस्पताल में रहने की जुगत हो पायेगी। पहले इमरान ने भीतर प्रवेश किया और फिर याकूब कुरैशी ने। अंदर जाने से पहले इमरान ने हंसते हुए शुक्रिया कहा तो याकूब ने भी उन पुलिस अफसरों को हाथ जोड़ते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया जो दोनों की जेल में आमद कराने आये थे।
करीब बीस से ज्यादा विभागों की मिलीभगत से याकूब कुरैशी व उसका परिवार अलीपुर हापुड़ रोड स्थित अपनी मीट की फैक्ट्री का संचालन कर रहा था। इस फैक्ट्री को अवैध पाते हुए मेरठ विकास प्राधिकरण ने सील कर दिया था लेकिन भीतर सारी गतिविधियां जारी रहीं। यानी मीट की पैकेजिंग व प्रोसेसिंग होती रही, वह ट्रकों से बाहर जाता रहा लेकिन पैसे की चमक ने सभी विभागों को अंधा कर दिया। लंबी अवधि से यह काम चल रहा था। शिकायत होने पर भारी भरकम टीम को लेकर जब छापा मारा गया तो वहां भारी मात्रा में अवैध रूप से काटा अथवा पहुंचाया गया मीट बरामद किया गया। इस मीट की कीमत पांच करोड़ रुपये आंकी गई। इतना सब हुआ लेकिन योगी सरकार की जीरो टालरेंस नीति को सारे विभाग जोर का झटका धीरे से लगातार लगाते रहे। अब तक कई बार सैंपल लिये जा चुके हैं लेकिन नतीजा सामने नहीं आया।
मेरठ की जांबाज पुलिस ने कुर्की की भी लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया जैसा आमजन के साथ वह करती आ रही है। आमतौर पर पुलिस कुर्की में घर के दरवाजे व चौखट भी उखाड़ ले जाती है लेकिन पूर्व मंत्री के केस में ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस बीच, याकूब कुरैशी अपने परिवार के साथ कभी राजस्थान, कभी हरियाणा तो कभी दिल्ली में जगह बदल बदल कर रहता रहा। इनाम भी बढ़ कर पच्चीस से पचास हजार रुपये कर दिया गया लेकिन याकूब के हाथ पुलिस से काफी लंबे निकलते रहे। और अब जब करीब दस माह बाद याकूब कुरैशी व उसके बेटे इमरान को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो एक बारगी नहीं लगा कि पचास पचास हजार रुपये के इनामी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। याकूब व इमरान लगातार मुस्कराते रहे। थाना रहा हो या फिर कोर्ट के बाहर तक दोनों को बकायदा कुर्सी दी गई, दोनों ही हाथ हिला हिला कर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते रहे और मंद ही मंद मुस्कराते भी।
गिरफ्तारी के बाद आज दोपहर याकूब व इमरान को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से पचास हजार रुपये के ईनामी दोनों बाप बेटे को जेल भेज दिया गया। जेल जाने से पहले दोनों ही पुलिस अफसरों को हाथ जोड़कर शुक्रिया कहा और जेल के भीतर प्रवेश कर लिया। साथ में याकूब कुरैशी अपनी दवा व दवा के पर्चे भी ले गये।
देखिये जेल के दरवाजे पर क्या हुआ 👇
पैसे व रसूख के बल पर बसपा सरकार के पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी व इमरान कुरैशी दस माह तक पुलिस से खुद को बचाते रहे लेकिन अंतत आज जेल जाना ही पड़ा। जेल के दरवाजे पर दोनों ने हाथ जोड़ते हुए पुलिस अफसरों से कहा-शुक्रिया@uppolice,@sspmeerut,@cmyogi, @updgp ,@dmmeerut,@adgpolice, pic.twitter.com/1ED7YYb2e9
— FIRSTBYTE.Tv (@firstbytetv_) January 7, 2023
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