केंद्र नहीं, आरबीआई को लेना था नोटबंदी का फैसला, यह फैसला गैरकानूनी- जस्टिस नागरत्ना
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केंद्र नहीं, आरबीआई को लेना था नोटबंदी का फैसला, यह फैसला गैरकानूनी- जस्टिस नागरत्ना

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नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भले ही सही ठहरा दिया हो लेकिन इस फैसले से असहमति भी बेंच के एक जज ने जताई है। कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। वहीं इस फैसले से असहमत जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि नोटबंदी का फैसला आरबीआई ने नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा लिया गया है। नोटबंदी की शुरुआत कानून के विपरीत और गैरकानूनी शक्ति का इस्तेमाल था। इतना ही नहीं यह अधिनियम और अध्यादेश भी गैरकानूनी थे।

दरअसल,  नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 58 याचिकाएं दाखिल की गई थी। इन पर सुनवाई के बाद सोमवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। पांच सदस्यीय बेंच में से चार ने नोटबंदी के फैसले पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने साथी जजों के तर्कों से सहमति जताते हुए फैसले पर असहमति जता दी। दरअसल, उन्होंने इस फैसले पर आरबीआई एक्ट के सेक्शन 26(2) के अंतर्गत केंद्र सरकार की शक्तियों को लेकर अपनी असहमति जताई है। पांच जजों की खंडपीठ नोटबंदी के खिलाफ लगी याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। जिस पर 7 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

जस्टिस नागरत्ना का कहना है कि जब नोटबंदी का प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से आता है, ये आरबीआई एक्ट की धारा 26(2) के अंतर्गत नहीं आता है। यह एक कानून के रूप में है और अगर गोपनीयता की जरूरत है, तो एक अध्यादेश के जरिये लागू होता। आरबीआई एक्ट की धारा 26(2) के तहत नोटबंदी का प्रस्ताव आरबीआई के राष्ट्रीय बोर्ड की ओर से आना चाहिए था। केंद्र सरकार का सभी सीरीज के नोटों की नोटबंदी का मामला आरबीआई की ओर से निश्चित सीरीज की नोटबंदी से भी ज्यादा गंभीर मामला है।

जस्टिस नागरत्ना ने स्पष्ट कहा कि नोटबंदी का फैसला कानून लाकर ही होना चाहिए था, एक गजट नोटिफिकेशन लाकर नहीं। उनका कहना है कि संसद देश की परछाई है। लोकतंत्र के केंद्र संसद को इतने गंभीर मुद्दे पर दूर नहीं रखा जा सकता है।आरबीआई की ओर से दाखिल किए गए दस्तावेजों में लिखा है, ‘केंद्र सरकार चाहती थी’ से साफ पता चलता है कि ये आरबीआई की ओर से लिया गया स्वतंत्र फैसला नहीं था। पूरा फैसला केवल 24 घंटे में ले लिया गया। लिहाजा आरबीआई के विचार को सिफारिश नहीं माना जा सकता है। जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा कि आरबीआई एक्ट की धारा 26(2) के तहत सिर्फ कुछ सीरीज के नोटों पर पाबंदी लगाई जा सकती है, सभी सीरीज के नोटों पर नहीं।

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