भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा जल्द, ब्राह्मण हो सकता है अगला अध्यक्ष
यूपी की राजनीति से बराबर संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी के नये अध्यक्ष के नाम की घोषणा कभी भी हो सकती है। महामंत्री संगठन के पद पर हुए बदलाव और यूपी के राजनीतिक गलियारे में चल रही गहमागहमी के बाद तो यह संकेत साफ हो चुके हैं। जिस तरह से इन दिनों भाजपा ब्राह्मणों को साधने में लगी हुई है उसे देखते ही कयास लगाये जा रहे हैं कि पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण हो सकता है। ब्राह्मण होता है तो फिर कौन ? इस सवाल पर भी माथापच्ची की जा रही है। जो दो बड़े नाम उभर कर मौजूदा हालात में सामने आ रहे हैं उनमें राज्य सभा सांसद डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी और कन्नौज से सांसद सुब्रत पाठक शामिल हैं। माना जा रहा है कि आने वाले 48 घंटे भाजपाई राजनीतिक में बड़े संकेत देने वाले होने जा रहे हैं।
पिछले दिनों जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के इस्तीफे की खबर बाहर आयी थी तब पिछड़े समाज के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी बड़ी तेजी से इस पद के लिये उभरकर सामने आया था। अब जबकि उन्हें विधान परिषद में नेता पद की कमान सौपी गयी है तो यह तय हो गया है कि कम से कम केश्व प्रसाद मौर्य तो प्रदेश अध्यक्ष बनने नहीं जा रहे हैं। हालांकि राजनीति में कुछ भी संभव है। पार्टी ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को भी विधान परिषद में सत्ताधारी दल के नेता की तौर पर मान्यता देने के बाद पिछड़े समाज के बीच में भाजपा ने एक और सकारात्मक संदेश दे दिया है। ऐसे में भाजपा इस बार अध्यक्ष पद पर किसी ब्राह्मण को बैठा सकती है।
याद दिला दें कि ब्राह्मण कोटे से महेंद्र नाथ पांडे भाजपा के अंतिम प्रदेश ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। वह पूर्वांचल की चंदौली सीट से सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं। उनके बाद में भाजपा ने पिछले लगातार तीन कार्यकाल से कुर्मी समाज से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह को ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी हुई थी। जहां तक बात डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की है तो उनका नाम ब्राह्मण नेता के रूप में एक बड़ा नाम है। पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनाव बहुमत से जीता था। फिर जिस तरह से संगठन महामंत्री सुनील बंसल के निशाने पर रहने के बावजूद जिस तरह पिछले दिनों डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के कद में लगातार इजाफा देखने में आ रहा है वह भी राजनीतिक मायने रखता है। सुनील बंसल को राष्ट्रीय महामंत्री बनाये जाने के साथ ही यूपी से हटाना भी कही न कहीं काफी संकेत देने के लिये पर्याप्त है। अब 2024 में फिर से लोकसभा चुनाव होने जा रहा है और भाजपा ने उसी को ध्यान में रखते हुए अपनी गोटियां फिट करना भी तेज कर दिया है।
दूसरी तरफ भाजपा का एक खास तबका दावा कर रहा है कि दलित समाज से आने वाले किसी नेता को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। दलित समाज के नामों में जो नाम सबसे आगे चल रहा है उनमें विधान परिषद सदस्य विद्यासागर सोनकर का नाम शामिल है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया, प्रियंका गौतम, कांता कर्दम का भी नाम लिया जा रहा है।
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