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मठाधीश हत्यारोपी पुलिस इंस्पेक्टर जेएन सिंह के तीन मंजिला भवन पर चला बुलडोजर

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  • पिछली सरकार में माफियाओं पर ही चला था बुलडोजर
  • गुनाह किया है तो बुलडोजर चलेगा, चाहे कोई भी हो
  • प्राधिकरण ने बर्खास्त इंस्पेक्टर का गरूर व बिल्डिंग दोनों तोड़ी
  • वर्दी की हनक में बिना नक्शा पास कराये बनाया था तीन मंजिला
  • मनीष गुप्ता की होटल में पीट पीट कर कर दी थी हत्या

पिछली सरकार में माफिया व बदमाशों की संपत्ति पर ही बुलडोजर चला था लेकिन योगी आदित्यनाथ के बतौर मुख्यमंत्री दूसरे कार्यकाल में बुलडोजर की नजर सिर्फ गुनहगार पर है, वह चाहे माफिया हो या फिर पुलिस कर्मी ही क्यों न हो। कानपुर के प्रापट्री डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड के मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह के तीन मंजिला भवन को बुलडोजर ने जमीदोज करते हुए साफ संकेत दे दिये। ये संकेत जाहिर तौर पर उन पुलिस अफसरों के लिये हैं जो मठाधीश बने फिरते हैं। हत्यारोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह ने तीन मंजिला यह भवन बिना नक्शा पास कराये अपनी हनक में बनवाया था। आज लखनऊ विकास प्राधिकरण के बुलडोजर ने इस हनक को जमी पर लाकर रख दिया।

दरअसल, जगत नारायण पर 27 सितंबर 2021 में गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने में तैनाती के दौरान प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पीटकर हत्या का मुकदमा दर्ज है। इस हत्याकांड में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट 7 जनवरी को कोर्ट में दाखिल कर दिया है। जिसमें कहा था कि मनीष अपने कुछ साथियों के साथ गोरखपुर गया था। वहां पुलिस वालों ने होटल में पीट-पीटकर मार डाला। वर्तमान में वह जेल में बंद है और बर्खास्त किया जा चुका है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के जोन-एक के प्रभारी अधिकारी अमित सिंह राठौर के मुताबिक इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह का चिनहट के देवराजी विहार, सरायशेख, सतरिख रोड पर 900 वर्गफीट का मकान है। जिसमें 10 से अधिक कमरे बने हैं। इसकी कीमत करीब एक करोड़ बताई जा रही है। इस मकान का निर्माण बिना नक्शा पास कराए ही करवा लिया गया था। इसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद रविवार को एलडीए ने कार्रवाई की है। मकान जगत नारायण सिंह व प्रिंस और एक अन्य के नाम से दर्ज है।
इस मामले में मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने रामगढ़ताल थाने पर तैनात रहे इंस्पेक्टर जेएन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्र, राहुल दुबे, विजय यादव, कांस्टेबल कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत सहित छह पुलिसकर्मियों पर पति की हत्या का केस दर्ज कराया है। सभी पुलिसकर्मी वर्तमान में जेल में बंद हैं। इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद सिफारिश की थी। इसके बाद 2 नवंबर को सीबीआई ने केस विवेचना के लिए लिया था।

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