- प्रतिबंध से बचने के लिए कई ट्रेडर कर रहे परहेज
- इम्पोर्ट बिल के साथ ही सब्सिडी के मोर्चे पर राहत
- भारत अपनी जरूरत के आयल का 80 फीसदी रूस से निर्यात करता है
- रूस से आफर मिला लेकिन कितना डिस्काउंट, अभी खुलासा नहीं
यूक्रेन पर हमला रूस के लिये गले की हड्डी बन गया है। जो लड़ाई 72 घंटे में जीतने की बात कही जा रही थी, उसके लिये अभी भी रूसी सेना ऐड़ी चोटी का दम लगाये हुए है। इसके अलावा इस हमले के बाद से रूस के खिलाफ कई बड़े देश आर्थिक प्रतिबंध के रूप में उठ खड़े हुए हैं। अमेरिका ने तो रूस के तेल एवं गैस (US Ban on Russian Oil&Gas) को भी प्रतिबंधित कर दिया है। इसी क्रम में अन्य कई यूरोपीय देश भी ऐसा करने की तैयारी में हैं। बदले हालात में रूस अपने तेल व गैस समेत अन्य कमॉडिटीज के लिए नए बाजार तलाश रहा है। इसका सीधा फायदा भारत को भी मिलता दिख रहा है। रूस से मिले भारी डिस्काउंट ऑफर के बाद अब भारत उससे सस्ते में क्रूड ऑयल व अन्य कमॉडिटीज खरीदने की तैयारी कर रहा है।
इस आशय की जानकारी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दी हैं। इस रिपोर्ट में दो भारतीय अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि रूस की तरफ से मिले डिस्काउंट ऑफर पर विचार किया जा रहा है। यह आफर क्रूड ऑयल और कुछ अन्य कमॉडिटीज पर है। इसका पेमेंट भी रुपया-रूबल ट्रांजेक्शन होगा। रूस तेल और अन्य कमॉडिटीज पर भारी ऑफर दे रहा है। अभी भारत के साथ टैंकर, इंश्योरेंस कवर और ऑयल ब्लेंड को लेकर कुछ इश्यूज हैं. इन्हें सोल्व करते ही हम डिस्काउंट ऑफर एक्सेप्ट करने लगेंगे।
रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद कई इंटरनेशनल ट्रेडर रूस से तेल या गैस खरीदने से परहेज कर रहे हैं। वहीं भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ये प्रतिबंध भारत को रूस से ईंधन खरीदने से नहीं रोकते हैं। रुपया-रूबल में व्यापार करने की व्यवस्था तैयार करने पर काम चल रहा है। इस व्यवस्था का इस्तेमाल तेल और अन्य चीजों को खरीदने में किया जाएगा। दोनों अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि रूस कितना डिस्काउंट दे रहा है या डिस्काउंट पर कितना तेल ऑफर किया गया है।
दरअसल, भारत अपनी जरूरतों का 80 फीसदी ऑयल इम्पोर्ट करता है। रूस से भारत करीब 2-3 फीसदी तेल खरीदता है। चूंकि अभी कच्चा तेल की कीमतें 40 फीसदी ऊपर जा चुकी हैं, भारत सरकार इम्पोर्ट बिल कम करने के लिए विकल्पों की तलाश कर रही है। क्रूड की कीमतें बढ़ने से अगले फाइनेंशियल ईयर में भारत का इम्पोर्ट बिल 50 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है। इस कारण सरकार सस्ते तेल के साथ ही रूस और बेलारूस से यूरिया जैसे फर्टिलाइजर्स का सस्ता कच्चा माल भी खरीदने पर गौर कर रही है। इससे सरकार को खाद सब्सिडी के मोर्चे पर बड़ी राहत मिल सकती है।