अजब गजब- दिन में चुनावी रैलियां, रात में कर्फ्यू
BREAKING उत्तर प्रदेश मेरठ

अजब गजब- दिन में चुनावी रैलियां, रात में कर्फ्यू

Spread the love
135 Views
  • शादी में दो सौ से ज्यादा की अनुमति नहीं
  • चुनावी सभाओं में जुट रहे हैं हजारों, लाखों
  • भरी सर्दी में लगा दिया गया है नाइट कर्फ्यू
  • चुनावी सभाओं व यात्रा में गाइड लाइन की उड़ रही धज्जियां 
  • कहीं मास्क नजर नहीं आ रहा इस दौरान 
  • गाइड लाइन केवल आम नागरिकों व दुकानदारों के लिये ?
  • दूसरी लहर में पंचायती/प्रधानी चुनाव ने किया था आग में घी का काम 
  • गावों में ढहाया था दूसरी लहर ने भीषण कहर 

यूपी में चुनाव सिर पर हैं और कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रान भी। जनमानस की सुरक्षा के लिये प्रदेश सरकार ने भरी सर्दी में नाइट कर्फ्यू भी लगा दिया है। शादी विवाह आदि सार्वजनिक आयोजनों में भाग लेने वालों की संख्या 200 तक सीमित कर दी गई है। यानी अब इसके लिये प्रशासन से परमिशन लेने की बाध्यता अनिवार्य होगी। यह बाध्यता सिर्फ शादी विवाह पर लागू है, सत्ताधारी चुनावी सभा या चुनावी यात्राओं पर नहीं। कुछ इस तरह जैसे कोरोना सिर्फ रात खाली सड़कों पर निकलता है और शादी विवाह समारोह में ही लोगों को अपना शिकार बनाता है। बीती रात से पुलिस ने सड़क पर उतर कर लोगों को ठिठुरती सर्दी में गर्मी का अहसास यह कहते हुए कहा दिया कि प्रदेश में नाइट कर्फ्यू लागू हो गया है। माइक से घोषणा करते हुए मार्केट भी बंद करा दिये गये। रात्रि फिल्मी शो पर भी शटर गिरा दिये गये। दुकानदारों से कहा गया है कि मास्क के बिना वे किसी को सामान न दें। देश में ओमिक्रान के केस 415 से ज्यादा हो गये हैं , एक दिन में 16 प्रतिशत का इजाफा देने में आया है।

हाईकोर्ट का पीएम मोदी व चुनाव आयोग से विधानसभा चुनाव फिलहाल टालने का आग्रह नये संकेत दे रहा है। इस माहौल में भाजपा तो चुनावी मोड में आ ही चुकी है लेकिन सपा रालोद की रैलियों ने भी सत्ताधारी पार्टी की पेशानी पर बल डालने का काम कर रही है। कांग्रेस भी दौड़ में शामिल होने के लिये हाथ पांव मार रही है। अखिलेश यादव की धर्मपत्नी डिंपल यादव कोरोना की चपेट में आ गई हैं बावजूद इसके सभाओं का दौर जारी है। ऐसे में सवाल उठता है कि कोविड गाइड लाइन क्या सिर्फ आम लोगों व दुकानदारों के लिये ही हैं बस, राजनीतिक पार्टियों के लिये नहीं। विवाह समारोह में सिर्फ 200 लोग आयेंगे वह भी परमिशन लेकर और चुनावी सभाओं में भीड़ कोविड को मार भगायेगी ? यह वह सवाल है जो दूसरी लहर के दौरान हुए पंचायती चुनाव के दौरान भी खूब हुआ और अब भी हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *